
जांजगीर। जिले में आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली एक बार फिर कठघरे में खड़ी दिखाई दे रही है। पिछले नौ दिनों से स्थानीय मीडिया द्वारा जांजगीर बीट एवं अकलतरा क्षेत्र में शराब दुकानों के सामने संचालित चखना सेंटरों में हो रही खुलेआम अनियमितताओं पर लगातार समाचार प्रकाशित किए जा रहे हैं, लेकिन विभाग पर इसका कोई प्रभाव पड़ता नहीं दिख रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, क्षेत्र की अधिकांश चखना दुकानों में डिस्पोजल ग्लास, पानी पाउच तथा विभिन्न प्रकार की पैक्ड वस्तुओं की बिक्री हो रही है। जबकि लाइसेंस जारी करते वक्त आबकारी विभाग ने साफ निर्देश दिए थे कि चखना दुकानों में किसी भी प्रकार की डिस्पोजल सामग्री, पानी पाउच बेचना पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। इसके बावजूद नियमानुसार संचालन के स्थान पर इन दुकानों में खुलेआम मनमानी जारी है। शराब दुकानों के ठीक सामने नियमों की धज्जियां उड़ते हुए देखना आम बात हो गई है। चखना सेंटर संचालक बिना किसी भय के डिस्पोजल पानी पाउच सामान बेचते नजर आते हैं, जबकि आबकारी अमला इस पूरी स्थिति पर चुप्पी साधे हुए हैं। लगातार प्रकाशित खबरों के बावजूद विभाग की ओर से न तो कोई जांच की गई और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई की सूचना सामने आई है। इससे आम नागरिकों में यह संदेश जा रहा है कि विभाग या तो पूरी तरह निष्क्रिय हो चुका है, अथवा अनियमितताओं पर जानबूझकर आंखें बंद किए हुए है। शहर के सामाजिक संगठनों और जिम्मेदार नागरिकों का कहना है कि जब मीडिया लगातार अनियमितताओं को उजागर कर रहा है, तब विभाग का इस तरह मौन रहना संदेह पैदा करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि समय पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो नियमों की अवहेलना और अधिक बढ़ जाएगी और इससे अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल सकता है।
सरकार की ओर से निर्धारित नियम व्यवस्था बनाए रखने के लिए होते हैं, और यदि संबंधित विभाग ही उन नियमों की अनदेखी करें तो यह प्रशासनिक गंभीरता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। जनता की यह भी मांग है कि सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए आबकारी विभाग की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। चखना सेंटरों में फैली अव्यवस्था और अनियमित बिक्री को रोकने के लिए त्वरित निरीक्षण, लाइसेंस की पुन: जांच और उल्लंघनकर्ताओं पर दंडात्मक कार्रवाई आवश्यक है।






















