
शिवरीनारायण। धर्म एवं आध्यात्म की पावन धरा शिवरीनारायण मठ में पूज्यपाद गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज की जयंती बड़े ही श्रद्धा भक्ति पूर्वक धूमधाम के साथ मनायी गयी। इस अवसर पर दूर-दूर के ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों से आए हुए मानस के वक्ताओं ने गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज और श्री रामचरितमानस की कथा लोगों को सुनाया। महन्त रामसुन्दर महाराज, कसडोल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक अरुण मिश्रा एवं आयोजक निरंजन लाल अग्रवाल जी की गरिमामय उपस्थिति में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए महन्त ने कहा कि पन्दरह सौ चौवन विसे,कालिन्दी के तीर। श्रावण शुक्ला सप्तमी तुलसी धरयो सरीर।। अर्थात तुलसीदास जी महाराज का जन्म संवत् 1554 में जमुना जी के किनारे श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के सप्तमी को हुआ था। उन्होंने कहा कि तुलसी जयंती के अवसर पर हमें न केवल मानस के वक्ताओं एवं श्रोताओं को बल्कि तुलसी दास जी की ही तरह भगवान के चरित्र को जन-जन तक पहुंचने वाले पत्रकार बंधुओ को भी सम्मानित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। यह हम सभी के लिए अत्यंत ही गौरव का विषय है।
पूर्व विधायक मिश्रा ने कहा कि -धर्म न अर्थ न काम रूचि गति न चहौ निरबान। जनम जनम रति राम पद यह बरदान न आन ।। मानस मर्मज्ञ दिनेश गोस्वामी ने कहा कि- अस्थि चर्म मय देह मम् ता ऐसी प्रीत।। *मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव ने भी लोगों को संबोधित किया और कहा कि -साहित्य जगत में तुलसीदास जी महाराज का अतुलनीय स्थान है, इसलिए साहित्यकारों ने लिखा है कि सूर -सूर तुलसी शशि, उडगन केशव दास। अब के कवि खाद्योत सम, जहं-तहं करत प्रकाश।।श्रृद्धाओं को मानस मर्मज्ञ राजेंद्र शर्मा, गंगाराम केवट,भगत राम साहू, गंगाराम पटेल, बिहारी लाल भारद्वाज, सीताराम डडसेना, के के शुक्ला, सहित अनेक मानस वक्ताओं ने संबोधित किया। इस अवसर पर जिला मुख्यालय जांजगीर एवं शिवरीनारायण नगर तथा आसपास के क्षेत्रों से आए हुए पत्रकार बंधुओं तथा मानस वक्ताओं, श्रोताओं को भी सम्मानित किया गया। सम्मानित पत्रकारों में उपेंद्र तिवारी, पवन चतुर्वेदी, राजकुमार साहू, मनोज थवाईत, मुकेश बैस, प्रशांत सिंह, हेमंत पटेल, डायमंड शुक्ला, राजेश छत्री, कुणाल गुप्ता, विनोद केसरवानी, मुकेश तिवारी, सीताराम राठौर, दुर्गेश साहू, सुरेश साहू, संतोष अग्रवाल, मनमोहन सिंह कंवर, विजय भूषण सोनी, देवांगन जी के नाम उल्लेखनीय हैं। कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्तियार सुखराम दास जी, त्यागी जी महाराज, पुरेंद्र सोनी सहित मठ मंदिर प्रशासन के अनेक अधिकारियों कर्मचारियों ने सराहनीय योगदान दिया। संचालन राधेलाल जायसवाल ने किया।