
जांजगीर चांपा। सेवा सहकारी समिति बोडसरा के कर्मचारी लीलादास मानिकपुरी द्वारा समिति में अनेक विसंगति करने के बाद भी अधिकारियों द्वारा उनके ऊपर कार्रवाई करने के बजाय उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में अवगत हो कि सेवा सहकारी समिति बोडसरा के कर्मचारी लीलादास मानिकपुरी लिपिक सह कंप्यूटर ऑपरेटर के ??द्वारा समिति के किसानों से प्राप्त ऋण वसूली हिस्से की राशि को बैंक में जमा नहीं कर गंभीर वित्तीय अनियमितता किया गया है एवं समिति कार्यालय में अवकाश के लिए आवेदन दिए बिना लंबी अवधि तक अनुपस्थित रहने के कारण उक्त कर्मचारी को कई बार नोटिस के माध्यम से अवगत कराया गया था। लेकिन अब तक उनके ?द्वारा किये गये गड़बड़ी की भरपाई नहीं की गयी और ना ही कोई संतोषप्रद जवाब प्रस्तुत किया गया। जिस कारण लीलादास मानिकपुरी को 26.05.25 की संचालक मंडल ?द्वारा निलंबित किया जाकर जाँच हेतु आरोप पत्र शाखा प्रबंधक,पर्यवेक्षक जि.स. के. बैंक शाखा जांजगीर को प्रस्तुत किया गया है। जिससे खीझवश उक्त कर्मचारी द्वारा जनदर्शन में अधिकारी को समिति प्रबंधक, प्राधिकृत अधिकारी द्वारा मानसिक प्रताडित करने एवं समय पर वेतन भुगतान नहीं करने हेतु शिकायत किया गया है। जिसके लिए स.नि. कैलाशचंद्र के द्वारा 25.08:25 को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया, जिसमे उन्हें लीलादास मानिकपुरी ?द्वारा किये गये गड़बड़ी एवं अनियमितता के संबंध में साक्ष्य सहित जवाब प्रस्तुत किया गया। जिसमें जांच अधिकारी ?द्वारा अपने प्रतिवेदन में समिति के द्वारा लिए गये निर्णय की स्वेच्छा चरिता वश किया गया कार्यवाही कहते हुए लीला दास मानिकपुरी व निलंबन की कार्यवाही को निरस्त बनते हुए समिति प्रबंधक एवं प्रधि अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही किये जाने का लेख किया गया है। जिससे स्पष्ट होता है कि जांच अधिकारी के द्वारा समिति के उक्त कर्मचारी को संरक्षण दिया जा रहा है एवं समिति के प्राधि अधि एवं संस्था प्रबंधक को हतोत्साहित किया जा रहा है ।
यहां यह बताना आवश्यक है कि लीला दास मानिकपुरी द्वारा जो आर्थिक अनियमितता की गई है यह गंभीर अपराध है इसके लिए पुलिस मैं मामला दर्ज कराया जाना चाहिए, न जाने कितने किसानों का रकम समिति में जमा नहीं किया गया है यह जांच से स्पष्ट हो जाएगा। ऐसा करने के बजाय जांच अधिकारी एवं उच्च अधिकारी के द्वारा मामले को दबाने के लिए समिति प्रबंधक एवं प्राधिकृत अधिकारी के ऊपर कार्रवाई वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
विदित हो कि इसके पूर्व सेवा सहकारी समिति बनारी में इसी तरह का मामला सामने आया था जहां संचालक मंडल के द्वारा इसी तरह की करवाई की गई थी जिसे उच्च अधिकारियों द्वारा स्वीकार करते हुए उक्त कर्मचारी की सेवा समाप्त कर दी गथी थी। परंतु आज आर्थिक अनियमितता करने पर सेवा सहकारी समिति बोड़सरा के संचालक मंडल द्वारा निलंबन की कार्रवाई की गई है तो उसे उचित नहीं ठहराया जा रहा है बल्कि आर्थिक अनियमितता के मामले को मोड़ते हुए संचालक मंडल की कार्रवाई को अनुचित बनाने में लगे हुए हैं। बल्कि बोड़सरा समिति के मामले को पुलिस विभाग को सौंप देना चाहिए।