राष्ट्रीय ध्वज अपमान मामले में 20 साल बाद फैसला, आयुबुद्दीन और नासिरउद्दीन को 2-2 साल की सजा

भुवनेश्वर। दो दशक पहले राज्य में चर्चा का विषय बने राष्ट्रीय ध्वज के अपमान की घटना में अब जाकर फैसला सुनाया गया है। राजनगर जेएमएफसी ने दो आरोपियों को दो-दो वर्ष की सजा सुनाई है। हालांकि इस मामले में शामिल एक आरोपी की पहले ही मृत्यु हो चुकी है।
गौरतलब है कि यह घटना वर्ष 2004 की है। केन्द्रापड़ा जिला राजनगर प्रखंड के कृष्णनगर पंचायत अंतर्गत कनकनगर स्थित वीणापाणी उच्च प्राथमिक विद्यालय में 15 अगस्त 2004 को स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा था। विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाध्यापक उमेश चंद्र दास ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। इस अवसर पर विद्यालय के छात्र-छात्राएं और गांववासी उपस्थित थे। जब छात्र-छात्राएं राष्ट्रगान गा रहे थे, उसी समय विद्यालय के पास रहने वाले शेख मयूबुद्दीन, शेख आयुबुद्दीन, शेख नासिर उद्दीन, काइसुम बीबी, इराज बीबी और कश्मीरा बीबी विद्यालय परिसर में घुस आए और प्रधानाध्यापक को धमकाते हुए राष्ट्रीय ध्वज उतारने के लिए दबाव बनाने लगे। आरोप है कि उन्होंने उत्तेजित होकर राष्ट्रीय ध्वज लगे बांस को उखाडक़र जमीन पर फेंक दिया। इस संबंध में विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने राजनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने राष्ट्रीय ध्वज अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत मामला दर्ज किया था। मामले की सुनवाई के बाद जेएमएफसी शिवानी मिश्रा ने दो आरोपियों (शेख आयुबुद्दीन और शेख नासिरउद्दीन) को दोषी ठहराते हुए दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। इस मामले की जांच तत्कालीन राजनगर थाना प्रभारी शीतिकंठ कानुनगो ने की थी, जबकि सरकारी वकील नलिनी कांत मंगराज ने अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी की। घटना के मुख्य आरोपी शेख मयूबुद्दीन की इस बीच मृत्यु हो चुकी है।

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