
कोच्चि: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के कोच्चि जोनल कार्यालय ने 7 नवंबर को तिरुवनंतपुरम में पांच स्थानों पर धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत जांच के संबंध में तलाशी अभियान चलाया। यह कार्रवाई नेमोन सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, नेमोन, तिरुवनंतपुरम और अन्य के खिलाफ दर्ज मामलों के सिलसिले में की गई। ईडी ने यह जांच केरल पुलिस द्वारा दर्ज 24 प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी। एफआईआर में आरोप है कि बैंक की प्रबंध समिति ने सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया और आम जनता से लिए गए जमा धन को वापस नहीं किया, जिससे जमाकर्ताओं को वित्तीय नुकसान हुआ। ये अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 318(4) के अंतर्गत आते हैं, जो पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध माने जाते हैं।
जांच के दौरान पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज जमाकर्ताओं के बयानों में यह सामने आया कि बैंक के सदस्यों ने अपनी बचत राशि जमा की थी। लेकिन, बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उन्हें निकासी की अनुमति नहीं दी गई। बैंक की तत्कालीन प्रबंध समिति द्वारा वित्तीय प्रबंधन और निर्णय लेने की प्रक्रिया को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की गईं। मामले की जांच में कई गंभीर प्रक्रियागत अनियमितताएं सामने आईं, जिनमें नियमों और परिपत्रों का उल्लंघन करते हुए जमा राशि स्वीकार करना और ऋण मंजूर करना शामिल था। सहकारी समाज के रजिस्ट्रार की 8 अगस्त की अंतिम रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि बैंक में करीब 50 करोड़ रुपए की हेराफेरी हुई। फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए, अनुमत सीमा से अधिक ऋण स्वीकृत किए गए और धन का दुरुपयोग किया गया। इन सभी कारणों से बैंक अपने जमाकर्ताओं की राशि लौटाने में विफल रहा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अब तक इस बैंक घोटाले से जुड़े 380 आपराधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से 368 मामलों की जांच राज्य अपराध शाखा को सौंप दी गई है।

























