👉🏻 ठेका कम्पनी नीलकण्ठ के रवैये ने उठाए सवाल
कोरबा-कुसमुण्डा। एसईसीएल के भूविस्थापितों से निपटने के लिए अब व्यवस्था बदल दी गई है। एसईसीएल कुसमुण्डा के अधीनस्थ ठेका कंपनी नीलकंठ प्रबंधन का रवैया समस्या को बढ़ा रहा है वहीं उसके तौर-तरीके से प्रभावितों में गहरी नाराजगी भी देखी जा रही है। हालांकि एसईसीएल व नीलकंठ प्रबंधन की गोद में बैठे कुछ दलालनुमा भूविस्थापित ऐसे मामलों को तवज्जो दे रहै हैं लेकिन बहुसंख्य भूविस्थापित इस बाउंसर संस्कृति को पूर्ण रूप से गलत ठहरा रहे हैं। इस तरह के रवैया से आक्रोश और असंतोष बढ़ता जा रहा है। एसईसीएल प्रबंधन से उनकी अपेक्षा है कि वह मुआवजा, नौकरी और बसाहट के मामलों का उचित निराकरण करे तथा अधीनस्थ ठेका कंपनियों में रोजगार के लिए ठोस और स्थाई समाधान करें। भूविस्थापितों को इन कंपनियों का चक्कर बार-बार न काटना पड़े।

बता दें कि ठेका कंपनियों में, जिस पर कि एसईसीएल का पूर्ण रूप से अधिकार है, कुछ कम्पनियां दादागिरी पर उतर आई हैं। दीपका परियोजना प्रभावित मलगांव,सुआभोड़ीं में जहां कलिंगा के बाउंसरों ने परेशान किया तो दूसरी तरफ कुसमुंडा में आउटसोर्सिंग कंपनी नीलकंठ में भूविस्थपितों से लड़ने के लिए महिला बाउंसरों की तैनाती की गई है। इनका रवैया अनुचित बताया जा रहा है।
ताजा घटनाक्रम में SECL कुसमुंडा प्रभावित क्षेत्र चंद्रनगर के भूविस्थापित किसान समीर पटेल को एक साल से नीलकंठ कंपनी द्वारा नौकरी के लिए घुमाया जा रहा है,जब वह कम्पनी के ऑफिस गया तो HR मुकेश सिंह ने महिला बाउंसरों से किसान की पिटाई करवा दीl इसके पहले भी महिला भूविस्थापितों के साथ इन बाउंसरों की अभद्रता और जोर जबरदस्ती करने का वीडियो वायरल हुआ था। सवाल है कि क्या इन कम्पनियों को सरकारी कानून-व्यवस्था पर भरोसा नहीं है जो बाउंसरों के जरिए गुण्डागर्दी/अभद्रता कराने पर उतर आए हैं?