कोरबा। फर्जी भुगतान तथा भ्रष्टाचार के मामले में हमेशा सुर्खियों में रहने वाला कटघोरा वनमंडल भुगतान संबंधी अनियमितता को लेकर एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। यहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने बिल व्हाउचर किसी और का लगाया तथा राशि हस्तांतरण दूसरे नाम पर कर उसका बंदरबांट कर लिया है। इसकी शिकायत डीएफओ समेत अन्य अधिकारियों से करते हुए जांच की मांग की गई है।
मिली जानकारी के अनुसार प्रतिवर्ष छत्तीसगढ़ शासन वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वनों में लगने वाले आग से वनों की सुरक्षा एवं बचाव हेतु अस्थाई रूप से 15 फरवरी से 15 जून तक प्रत्येक परिसर में फायर वाचर की नियुक्ति किया जाता है। इसका पारिश्रमिक राशि निर्धारित कलेक्टर दर पर भुगतान किया जाता है। वर्तमान में 10380 रुपए की राशि का मानदेय निर्धारित है। ये फायर वाचर प्राय: संबंधित परिसर के आसपास के ग्रामीण होते हैं जिनको पूरे जंगल के भौगोलिक स्थिति की जानकारी एवं कार्य का अनुभव होता है। प्रत्येक फायर वाचर संबंधित परिसर के जंगल में सतत् रूप से वनों का भ्रमण कर लगे हाथों अपने जान को जोखिम में डालकर नियंत्रण एवं बुझाते हैं। शासन स्तर पर वनों में आग की रोकथाम हेतु ब्लोवर मशीन भी दिया जाता है। कटघोरा वनमंडल में इस वर्ष भी फायर वाचर की नियुक्ति प्रत्येक परिसर में की गई। जिसका भुगतान भी वन मंडलाधिकारी कटघोरा द्वारा समय पर करा दिया गया किंतु पसान वन परिक्षेत्र अंतर्गत तनेरा परिसर में होश उड़ा देने वाला मामला सामने आया। ग्राम पंचायत तनेरा निवासी कृष्ण कुमार प्रजापति वल्द सुमार साय को इस वर्ष 2025 में फायर वाचर तनेरा के रूप में रखा गया। जिनसे दिन रात आग बुझाने एवं वनोपज जांच नाका में भी कार्य कराया गया, किंतु जब भुगतान की बारी आई तो परिसर प्रभारी वनपाल यादव द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपने चाहने वाले के खाते में डलवाकर राशि का आहरण शासकीय पैसों का गबन कर लिया गया है। मजे के बात यह है कि फायर वाचर का बिल व्हाउचर कृष्ण कुमार के नाम से ही बनाया गया किंतु वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा परिसर रक्षक से मिलकर दूसरे खाते में राशि हस्तांतरण कर बंदरबांट कर लिया गया है। इसकी शिकायत डीएफओ एवं वन विभाग के अन्य अधिकारियों से करते हुए जांच कराए जाने तथा दोषियों पर कार्रवाई की मांग की गई है।