आरोपियों की जमानत खारिज की कोर्ट ने
कोरबा। सुशासन की जरूरत हर कहि है और अगर ऐसा कैंपेन चल रहा है तो इसमें कुछ बुरा भी नहीं है। इधर साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड सरायपाली परियोजना में 5 महीने पहले ट्रांसपोर्टर रोहित जायसवाल की हत्या के मामले में भाजपा नेता और एसईसीएल के एक अधिकारी सहित अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो सकी है। हालांकि इन्होंने रास्ता निकालने के लिए हाई कोर्ट में जमानत याचिका लगाई जो खारिज हो गई। जबकि अन्य आरोपी सरेंडर होने के बाद जेल में है।
साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड कोरबा क्षेत्र की सरायपाली माइंस में कोयला कारोबार को लेकर काफी समय से विवाद की स्थिति बनी हुई थी। आपसी प्रतिद्वंद्विता को लेकर कई बार मारपीट भी हुई और फिर अपने तरीके से बीच के कांटों को हटाने का इंतजाम किया गया। लेकिन बात यहां पर आकर खत्म नहीं हो सकी। बाद के दिनों में भी इसने तूल पकड़ा। नतीजा यह हुआ की 28 मार्च 2025 की रात बहस बाजी और मारपीट के बाद ट्रांसपोर्टर रोहित जायसवाल की जान चली गई। इस मामले में पाली पुलिस ने 15 से अधिक तत्वों को आरोपी रजिस्टर्ड किया। खबर के अनुसार उन दिनों रोशन सिंह ठाकुर और अन्य संबंधित ने कटघोरा थाना पहुंचकर सरेंडर कर दिया। कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। इस प्रकरण में भाजपा नेता संजय भावनानी तब से लगातार फरार चल रहे हैं। पीडि़त पक्ष की रिपोर्ट पर एसईसीएल सरायपाली परियोजना के तत्कालीन सब एरिया मैनेजर सुरेंद्र सिंह चौहान को भी आरोपी बनाया गया जो फिलहाल मध्य प्रदेश के शहडोल जिले अंतर्गत सोहागपुर क्षेत्र में स्टाफ ऑफिसर हैं। खबर मिली कि कोर्ट से निर्देश मिलने पर चौहान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की टीम वहां भेजी गई लेकिन मालूम चला के अवकाश पर है। पता चला कि इस मामले में दूसरे पक्ष के लोगों ने रोशन ठाकुर के घर पहुंच कर और मारपीट की थी जिस पर उनके खिलाफ भी अपराध दर्ज किया गया। खबर है कि इनमें से कई लोग फरार हैं इसलिए गिरफ्तारी बाकी है। पुलिस ने प्रकरण का चालान कोर्ट में पेश कर दिया है और इसलिए उसके स्तर पर विवेचना पूरी हो गई है।
सबसे बड़ी बात यह है कि घटना क्रम को हुए 5 महीने का समय पूरा हो गया है और इतनी लंबी अवधि के बाद भी उन चेहरों की खोज नहीं कर सका है जो फरार हैं। यह बात अलग है कि प्रकरण में आरोपियों ने राहत पाने के लिए सक्षम न्यायालय में जमानत याचिका जरूर लगे लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय के द्वारा इसे खारिज कर दिया गया। देखना होगा कि जो खास लोग इस मामले में लगातार बच रहे हैं, वह कब तक पकड़ में आते हैं।