जैसलमेर। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद की नई किताबें सियासी गलियारों का भी हॉट टॉपिक बनी हुई हैं। हृष्टश्वक्रञ्ज के नए संस्करण में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। वही, चैतन्य राज सिंह ने कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में बने एक नक्शे पर आपत्ति दर्ज की है। चैतन्य राज सिंह का कहना है कि इस पुस्तक में मौजूद मानचित्र में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का अंश बताया गया है, जो गलत है। चैतन्य राज सिंह ने एक्स प्लेटफॉर्म पर नक्शे की तस्वीर भी साझा की है। उनके अनुसार, कक्षा 8 की हृष्टश्वक्रञ्ज की सामाजिक विज्ञान विषय पाठ्यपुस्तक में दर्शाए गए मानचित्र में जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का भाग दर्शाया गया है, जो कि ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक है। हृष्टश्वक्रञ्ज जैसी किताबों में इस तरह की साक्ष्यविहीन जानकारी सवाल खड़े करती है। इससे हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचा है। यह महज एक गलती नहीं बल्कि हमारे पूर्वजों के बलिदान, संप्रभुता और शौर्य गाथा को धूमिल करने का प्रयास है। जैसलमेर का जिक्र करते हुए चैतन्य कहते हैं कि यह रियासत कभी मराठा साम्राज्य का हिस्सा नहीं थी। यहां के ऐतिहासिक स्रोतों में भी मराठा आधिपत्य और आक्रमण के साक्ष्य नहीं मिलते हैं। हमारी रियासत में मराठाओं ने कभी कोई दखल नहीं दिया।
कक्षा 8 की हृष्टश्वक्रञ्ज की सामाजिक विज्ञान विषय पाठ्यपुस्तक में दर्शाए गए मानचित्र में जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का भाग दर्शाया गया है, जो कि ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक है। चैतन्य राज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से हृष्टश्वक्रञ्ज किताब में मौजूद इस गलती को गंभीरता से लेते हुए तुरंत संशोधन की मांग की है। उनका कहना है कि यह ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में सत्यनिष्ठा लाने का विषय है। इसपर तुरंत और ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। चैतन्य राज सिंह राजस्थान की जैसलमेर रियासत के राजा हैं। वो जैसलमेर के 44वें महारावल हैं। उन्होंने नई दिल्ली के संस्कृत स्कूल से शिक्षा प्राप्त की है। इसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय के ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज राजनीति में डिग्री हासिल की है।