नई दिल्ली: भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 आज लॉन्च हो गया. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन सेंटर से दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर छोड़ा गया. चांद तक पहुंचने में चंद्रयान-3 को डेढ़ महीने से ज्यादा का समय लगेगा. चंद्रयान-3 का मकसद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना है.
चंद्रयान-3 का मकसद क्या?
चंद्रयान-3 का भी वही मकसद है, जो चंद्रयान-2 का था. यानी, चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करना. इसरो के इस तीसरे मून मिशन की लागत करीब 615 करोड़ रुपये बताई जा रही है. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 के तीन मकसद हैं. पहला- विक्रम लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करना. दूसरा- प्रज्ञान रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना. और तीसरा- वैज्ञानिक परीक्षण करना.
विक्रम लैंडर के साथ तीन और प्रज्ञान रोवर के साथ दो पेलोड होंगे. पेलोड को हम आसान भाषा में मशीन भी कह सकते हैं. रोवर भले ही लैंडर से बाहर आ जाएगा, लेकिन ये दोनों आपस में कनेक्ट होंगे. रोवर को जो भी जानकारी मिलेगी, वो लैंडर को भेजेगा और वो इसरो तक. लैंडर और रोवर के पेलोड चांद की सतह का अध्ययन करेंगे. ये चांद की सतह पर मौजूद पानी और खनिजों का पता लगाएंगे. सिर्फ यही नहीं, इनका काम ये भी पता करना है कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं.
The Indian Space Research Organisation (ISRO) launches #Chandrayaan3 Moon mission from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. Chandrayaan-3 is equipped with a lander, a rover and a propulsion module. It weighs around 3,900 kilograms. pic.twitter.com/ScQmoR7qw2
— Rahul Sisodia (@Sisodia19Rahul) July 14, 2023