रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने एक और दवा पर वितरण, विक्रय और उपयोग को लेकर रोक लगा दी है। निगम के स्टोर ऑफिसर ने ऑफलाक्सिन और ओर्निडाजोल टैबलेट के उपयोग पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाते हुए सभी सरकारी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों को आदेश जारी किया है कि संबंधित बैच की सभी दवाओं को तुरंत वापस मंगाया जाए। यह दवा जेस्टफार्मा कंपनी की बनी है, जिसका निर्माण जुलाई 2024 में किया गया था और जिसकी एक्सपायरी जून 2026 में है। इस बैच में गुणवत्ता से जुड़ी कुछ प्राथमिक शिकायतें प्राप्त होने के बाद निगम ने एहतियाती कदम उठाते हुए इसका वितरण रोक दिया है।
निगम के स्टोर ऑफिसर द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ऑफलाक्सिन और ओर्निडाजोल टैबलेट के संदिग्ध बैच को तुरंत प्रभाव से स्टॉक से अलग रखा जाए और उसका किसी भी रूप में वितरण या उपयोग न किया जाए। यह आदेश मेकाहारा अधीक्षक, डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, सीएमओ रायपुर, बलौदाबाजार सहित सभी जिलों के अस्पतालों को भेजा गया है। साथ ही, निर्देश दिया गया है कि संबंधित दवा को निगम के केंद्रीय गोदाम में सुरक्षित रूप से लौटाया जाए ताकि आगे की जांच और आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि यह आदेश भले ही एहतियाती बताया जा रहा हो, लेकिन इसकी भाषा में ‘नकली या अमानक दवा’ की संभावना को सीधे स्वीकार नहीं किया गया है। एक वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा “सरकारी दस्तावेज में ‘अमानक’ या ‘नकली’ शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है, बल्कि यह कहा गया है कि ‘कुछ प्राथमिक शिकायतें’ प्राप्त हुई हैं। यह शब्दावली यह संकेत देती है कि दवा की गुणवत्ता पर सवाल उठे हैं, लेकिन इसे सार्वजनिक रूप से नकली घोषित करने से बचा गया है।”
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सवाल उठाया है कि जब दवा मरीजों तक पहुंच चुकी है, तो क्या निगम ने यह सुनिश्चित किया है कि इसे फार्मेसी, वार्ड और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से भी वापस लिया गया है? ऐसे मामलों में यदि दवा का सेवन मरीजों द्वारा पहले ही किया जा चुका है, तो उसके संभावित दुष्प्रभावों पर निगरानी रखना बेहद जरूरी है।
सीजीएमएससी द्वारा इससे पहले भी कई बार निम्न गुणवत्ता वाली दवाओं और सलाइन बोतलों पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है। वर्ष 2024 में निगम ने अलग-अलग कंपनियों की 16 दवाओं को वापस मंगाया था, जिनमें संक्रमण रोधी और ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने वाली गोलियां भी शामिल थीं। निगम सूत्रों के मुताबिक, संबंधित दवा की सैंपल रिपोर्ट आने के बाद फार्मा कंपनी के खिलाफ अनुशासनात्मक या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। फिलहाल सभी जिलों से दवाओं की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

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