
नईदिल्ली, ३० जुलाई ।
इंडियन इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय , भारत सरकार के सहयोग से नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना उत्तर भारत के परिप्रेक्ष्य से विषय पर एक क्षेत्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में योजना के क्रियान्वयन की प्रगति की समीक्षा की गई और क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के भविष्य को लेकर विचार-विमर्श किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत जल संरक्षण के प्रतीकात्मक आयोजन के साथ हुई, जो इस बात का संकेत था कि टिकाऊपन (सस्टेनेबिलिटी) खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का एक अनिवार्य हिस्सा है। सेमिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र अभी अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाया है। उन्होंने उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे ज़मीनी स्तर पर किसानों और छोटे उद्यमियों के साथ अपनी भागीदारी को और मजबूत करें। उन्होंने कहा, भारत तब तक वास्तव में सक्षम नहीं बन सकता जब तक हमारे किसान सशक्त न हों। प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना केवल एक वित्तीय सहायता योजना नहीं है, यह एक परिवर्तनकारी कदम है जो फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करता है, मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देता है और हमारे कृषि उत्पादकों को सीधे वैश्विक बाज़ारों से जोड़ता है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि उत्तर भारत के अनेक राज्य, विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार, कृषि उत्पादन में अग्रणी होने के बावजूद खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में अपेक्षाकृत पीछे हैं। ऐसे राज्यों में कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स जैसी अवसंरचनात्मक आवश्यकताओं को प्राथमिकता से पूरा करने की जरूरत है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत से प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात का हिस्सा 2013 के 13 प्रतिशत से बढक़र 2024 में 23 प्रतिशत हो गया है, जो कि एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन इस गति को और तेज़ करने की आवश्यकता है । पासवान ने यह घोषणा भी की कि वल्र्ड फूड इंडिया 2025 का आयोजन इस वर्ष सितंबर में भारत मंडपम, नई दिल्ली में किया जाएगा, जो भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमताओं को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक सुनहरा अवसर होगा। सेमिनार की शुरुआत डॉ. मम्तामयी प्रियदर्शिनी, चेयरपर्सन, दिल्ली राज्य, के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने नीति और ज़मीनी क्रियान्वयन के बीच की दूरी को पाटने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने की क्षमता है, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि उद्योग जगत योजना से गहराई से जुड़े।
कार्यक्रम में वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री आलोक अग्रवाल ने छोटे खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों के लिए क्षमता निर्माण, तकनीकी उन्नयन और गुणवत्ता मानकों को अपनाने पर ज़ोर दिया। श्री चेतन देव भल्ला ने उद्यमियों द्वारा योजना के लाभों तक पहुंचने में आने वाली जमीनी कठिनाइयों का उल्लेख किया और उन्होंने अनुपालन प्रक्रियाओं को आसान बनाए जाने तथा ऋण की सुलभता पर बल दिया। इस दौरान अनुज गर्ग ने वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट पहल को वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं से जोडऩे की आवश्यकता जताई, वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश गोयल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में जि़ला स्तर पर फीडबैक तंत्र स्थापित करने और योजनाओं के निरंतर सुधार की प्रक्रिया को सशक्त बनाने की बात कही। सेमिनार का समापन डॉ. एल. के. पांडेय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी अतिथियों, सरकारी अधिकारियों, उद्योग प्रतिनिधियों और उद्यमियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि ढ्ढढ्ढ्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के समावेशी और प्रभावी क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है।