मुंबई: मुंबई के चर्चित लीलावती अस्पताल के ट्रस्टियों ने दावा किया है कि अस्पताल कैंपस में काले जादू की रस्में किए जाने के सबूत मिले हैं. उनके अनुसार, मौजूदा ट्रस्टियों के कार्यालय के फर्श के नीचे आठ कलश मिले हैं, जिनमें इंसानों की हड्डियां, खोपड़ी, बाल, चावल और तांत्रिक प्रथाओं से जुड़ी अन्य वस्तुएं मिली हैं. लीलावती अस्पताल के ट्रस्टी बीते दिनों से कथित तौर पर धन के दुरुपयोग को लेकर चर्चा में है.
इन चीजों की खोज एक पूर्व कर्मचारियों से मिली जानकारी के आधार पर की गई थी और खुदाई के दौरान वीडियो भी बनाया है. ये तब हुआ जब अस्पताल ट्रस्ट ने अपने पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ 1,250 करोड़ रुपये से ज्यादा के गबन का मामला दर्ज किया, जिनमें कथित तौर पर फर्जी आदेशों और रिकॉर्ड के जरिए पैसे की हेराफेरी की गई थी. हालांकि, पूर्व ट्रस्टी ने आरोपों को निराधार और दुर्भावनापूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया. लीलावती अस्पताल के संस्थापक किशोर मेहता के भाई विजय मेहता, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों पर कथित वित्तीय अनियमितता के लिए तीन प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इसके अलावा पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ टैक्स चोरी और टैक्स चोरी की शिकायतें भी दर्ज की गई थीं.
मौजूदा ट्रस्टियों ने प्रवर्तन निदेशालय से शिकायत की, ताकि इस घोटाले की जांच की जा सके. पूर्व ट्रस्टी कथित तौर पर यूएई और बेल्जियम चले गए हैं. वहीं, महाराष्ट्र काला जादू विरोधी अधिनियम के तहत एक और शिकायत तब दर्ज की गई, जब अस्पताल के कर्मचारियों ने प्रशांत मेहता और उनकी मां चारु मेहता को नुकसान पहुंचाने के लिए पूर्व ट्रस्टियों द्वारा कथित तौर पर काला जादू किए जाने के सबूत की रिपोर्ट दी. हालांकि, विजय मेहता के बेटे चेतन मेहता ने काले जादू के आरोपों से इनकार किया है. उन्होंने कहा, ‘काले जादू के आरोप जवाब देने लायक भी नहीं हैं और ये सिर्फ़ सनसनी फैलाने के लिए हैं.’
अधिकारियों के अनुसार, 2002 में किशोर मेहता इलाज के लिए विदेश गए थे. इस दौरान उनके भाई विजय मेहता ने ट्रस्ट का अस्थायी प्रभार संभाला था. विजय मेहता ने कथित तौर पर अपने बेटों और भतीजों को ट्रस्टी नियुक्त करने के लिए जाली डॉक्यूमेंट और हस्ताक्षर किए, जबकि किशोर मेहता को स्थायी ट्रस्टी के पद से हटा दिया. और लंबी कानून लड़ाई के बाद साल 2016 में किशोर मेहता को अपना पद वापस मिल गया. 2024 में किशोर मेहता की मृत्यु के बाद उनके बेटे प्रशांत मेहता स्थायी ट्रस्टी बन गए. प्रशांत ने खातों का फोरेंसिक ऑडिट किया, जिसमें फर्जी आदेशों और रिकॉर्ड के जरिए गबन समेत कई बड़ी वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं. अस्पताल के वित्तीय रिकॉर्ड की हाल ही में फोरेंसिक ऑडिट के बाद बड़े पैमाने पर हुई धोखाधड़ी का पता चला.