
एक वर्ष तक होंगे विभिन्न आयोजन
कोरबा। मातृभूमि की वंदना के साथ मानव जाति पर उसके उपकार और योगदान पर केंद्रित राष्ट्र गीत वंदे मातरम् का सामूहिक गायन आज कोरबा सहित देश भर में एक ही समय पर हुआ। सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों के अलावा स्कूलों और अन्य संस्थानों में लोगों ने एकत्र होकर भारत के राष्ट्र गीत को आवाज दी। इसके माध्यम से उन्हें भारतभूमि की कई विशेषताओं की जानकारी भी हुई। उन्होंने बंकिमचंद्र चटोपाध्याय का आभार इसलिए जताया कि उन्होंने एक श्रेष्ठ रचना का उपहार दिया।
वर्ष 1875 में बंकिमचंद्र चटोपाध्याय ने वंदेमातरम की रचना की। इसमें भारतभूमि की संरचना से लेकर उसके अनेकानेक पहलुओं को शामिल किया। पूरे गीत में अनेक तत्वों को शामिल करने के साथ बताया गया कि यह कितनी उर्वर और उपयोगी है। इसका कोना-कोना सुख-समृद्धि के साथ-साथ जनजीवन के लिए अपनी भूमिका निभाता है। गीत में कुछ पंक्तियां ऐसी भी है जिनमें इस बात का उल्लेख है कि 10 प्रहर दैवीय शक्तियां भी इस दिव्य भूमि की आराधना किया करती हैं और इसका ध्यान रखती हैं। स्वाधीनता के दिनों में इस राष्ट्र गीत ने लोगों को आपस में जोडऩे का काम किया है इसलिए लगातार यह बात प्रचारित होती रही कि भारत माता के वीर सपूतों को प्रोत्साहित करने के लिए वंदे मातरम् की पंक्तियां केवल शब्द या विन्यास नहीं थी बल्कि उन्होंने एक प्रेरक मंत्र की भूमिका निभाई। भारत सरकार के द्वारा इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने पर जिला मुख्यालय कोरबा सहित सभी तहसील और विकासखंड के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में इसका सामूहिक गायन कराया गया। अधिकारियों, कर्मियों से लेकर स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी, जनप्रतिधियों और आम नागरिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के साथ भारत के राष्ट्र गीत को स्वर दिया। उन्होंने इसी बहाने अपने राष्ट्रीय सरोकार भी दिखाए।
जानकारी के अनुसार 7 नवंबर से शुरू हुआ यह अभियान अगले वर्ष इसी तिथि को संपूर्ण होगा। एक वर्ष तक राष्ट्र गीत पर आधारित अनेक कार्यक्रम चार सोपान में किए जाएंगे। इसके अंतर्गत 19 से 26 जनवरी 2026, 8 से 15 अगस्त 2026 और 1 से 7 नवंबर 2026 की अवधि में अलग-अलग स्तर पर कार्यक्रम किए जाने हैं। इसका पहला चरण आज शुक्रवार 7 नवंबर को शुरू हुआ है जो 15 नवंबर तक जारी रहेगा।
























