
कोरबा/नई दिल्ली। SECL में मुआवज़ा बांटने के नाम पर चल रहे एक बड़े खेल का खुलासा हुआ है। CBI की जांच में सामने आया कि जायसवाल परिवार ने सरकारी और गैर–सरकारी जमीन पर बने घरों का हवाला देकर कई बार मुआवज़ा ले लिया। इस पूरे खेल में कुछ SECL अधिकारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई गई है।
*घोटाले की जांच और कार्रवाई*
CBI को घोटाले की पहली शिकायत 12 दिसंबर 2023 को मिली। इसके बाद 11 जनवरी 2024 और 29 मई 2024 को भी इसी तरह की शिकायतें पहुंचीं। जांच गहराई तक हुई तो सामने आया कि कुशल जायसवाल ने अलग-अलग मौकों पर 1.60 करोड़ से अधिक का मुआवज़ा लिया। राजेश जायसवाल ने 1.83 करोड़ से अधिक की रकम प्राप्त की।
*नियमों की धज्जियां*
नियम स्पष्ट कहते हैं कि मुआवज़ा केवल उसी को मिलेगा जो परियोजना क्षेत्र का स्थायी निवासी हो और कम से कम 5 साल से वहां रह रहा हो। लेकिन जांच बताती है कि जिन घरों के नाम पर मुआवज़ा मिला, वे जमीन अधिग्रहण के बाद बनाए गए थे, जो सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है।

















