नई दिल्ली। कांग्रेस ने जाति जनगणना के सियासी विमर्श की कमान अपने हाथ थामे रहने की रणनीति के तहत एक ओर भाजपा सरकार पर दबाव बनाए रखने की रणनीति अपनाई है तो दूसरी ओर देश भर में इसको लेकर जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इसके तहत ही पार्टी ने सभी प्रदेश कांग्रेस इकाइयों को जातिवार जनगणना की घोषणा का श्रेय लेने के लिए 30 मई तक पूरे देश में विधानसभा स्तर पर रैलियों से लेकर हर घर दस्तक देने का अभियान चलाने का निर्देश दिया है।अभियान में कोई हीला-हवाली न हो, इसके मद्देनजर कांग्रेस नेतृत्व ने सभी प्रदेश कांग्रेस कार्यालयों में इसके लिए विशेष कंट्रोल रूम स्थापित करने तथा जिला स्तर पर पर्यवेक्षक नियुक्त करने के लिए भी कहा है।

जाति जनगणना पर पीएम के यू-टर्न का कांग्रेस का दावा

जबकि भाजपा सरकार को बैकफुट पर रखने की अपनी रणनीति के तहत रविवार को कांग्रेस ने जातिवार जनगणना पर प्रधानमंत्री के यू-टर्न लेने का दावा करते हुए इसके लिए समय सीमा तय करने की चुनौती दी। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को जारी एक बयान में कहा कि पीएम मोदी द्वारा जातिगत जनगणना के मुद्दे पर अचानक हताशा भरे यू-टर्न के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

इसके तीन उदाहरण गिनाते हुए कहा 28 अप्रैल 2024 का प्रधानमंत्री का एक टीवी इंटरव्यू पहला है, जिसमें उन्होंने जातिवार जनगणना की मांग करने वालों को “अर्बन नक्सल” करार दिया था। दूसरा उदाहरण 20 जुलाई 2021 का है जब मोदी सरकार ने संसद में कहा था कि सरकार ने नीतिगत निर्णय लिया है कि जनगणना में एससी-एसटी के अलावा अन्य किसी जाति की गणना नहीं की जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे का भी जिक्र

तीसरे प्रमाण के तौर पर जयराम ने सुप्रीम कोर्ट में 21 सितंबर 2021 को मोदी सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कहा गया था कि 2021 की जनगणना के दायरे से किसी भी अन्य जाति की जानकारी को बाहर रखना केंद्र सरकार का एक सतर्क नीतिगत निर्णय है।