नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश में धरना देने के मामले में दर्ज प्राथमिकी सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रद कर दी। मार्च 2019 में धरना के संबंध में कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धरना देने वाले अपने विचारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग कर रहे थे।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि प्राथमिकी उस समय दर्ज की गई जब लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव आचार संहिता लागू थी।

पीठ ने उन दो व्यक्तियों – मंचू मोहन बाबू और मंचू विष्णु वर्धन बाबू – द्वारा दायर अपीलों पर यह निर्णय सुनाया। याचिका में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही रद करने से इनकार कर दिया था।

प्राथमिकी और आरोपपत्र में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है

पीठ ने कहा कि प्राथमिकी और आरोपपत्र में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे पता चले कि चुनावों पर कोई अनुचित प्रभाव डाला गया या जनता को परेशानी हुई हो। अपीलकर्ता भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा शांतिपूर्वक एकत्र होने के अपने अधिकार का प्रयोग कर रहे थे।

10 मार्च 2019 को लागू हुई थी आचार संहिता

आंध्र प्रदेश में आम चुनाव और विधानसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता 10 मार्च 2019 को लागू हुई थी। इसके तहत चुनावी प्रक्रिया समाप्त होने तक बिना पूर्व अनुमति के बिना बैठकों, धरनों, रैलियों और रोड-शो पर प्रतिबंध था।