
एमजेएमएस की मनमानी, कार्रवाई की मांग
कोरबा। श्रम क्षेत्र में इस बात पर जोर दिया जाता है कि जितनी मेहनत उतना दाम। महापुरुषों ने श्रम को लेकर यहां तक कहा है कि पसीना सूखने के पहले मजदूरों को उनका पारिश्रमिक मिल जाना चाहिए। इसके ठीक उल्टे अमृतकाल में अजीब तरह की कहानियां कोरबा जिले में मौजूद हैं। एसईसीएल की रानीअटारी विजय वेस्ट माइंस में तो कामगारों से पूरा काम लेने के बाद उन्हें आधा ही वेतन दिया जा रहा है। प्रोजेक्ट मैनेजर का तर्क है कि ठेकेदार ने जो कहा है उसे तो मानना ही पड़ेगा।
विजय वेस्ट रानीअटारी माइंस राजस्व जिले कोरबा के अंतर्गत आती है जबकि कामकाज के मामले में इसका अटैचमेंट चिरमिरी क्षेत्र से है, जो एमसीबी जिले का हिस्सा है। खबरों के अनुसार इस माइंस में विभिन्न प्रकृति के कार्यों में ठेका मजदूर रखे गए हैं। नियमों के अंतर्गत कांट्रेक्ट एजेंसी ने जिस तरीके से वर्क ऑर्डर प्राप्त किया है उसके अंतर्गत उसे कामगारों को भुगतान करना है। बताया गया कि पड़ोस के अनूपपुर एमपी के जमुना कॉलरी निवासी ठेकेदार परमानंद कुमार के द्वारा इस काम को हासिल किया गया है। एमजेएमएस माइनिंग सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड का यह एक हिस्सा है। संबंधित कंपनी पश्चिम बंगाल के कोलकाता के सिम्प्लैक्स हाउस-27 सेक्सपीयर शरणी से संचालित है। जानकारी मिली कि कंपनी के द्वारा रानीअटारी विजय वेस्ट भूमिगत खदान में काम कराया जा रहा है। लेबर सप्लाई के साथ ठेकेदार यहां पर काम ले रहा है। जून 2025 से जुड़े मामले को लेकर जानकारी मिली है कि मजदूरों के खाते में प्रति हाजिरी 1316 रुपए की दर से बैंक खाते में वेतन भुगतान किया है। बाद में पेटी ठेकेदार और साइड मुंशी के द्वारा प्रति हाजिरी 658 रुपए के हिसाब से राशि निकलवा ली गई और इसे वापस ले लिया गया। इस तरह से नियमानुसार रिकार्ड में पूरा वेतन देकर दबावपूर्वक 50 फीसदी राशि झटक ली गई। जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा के एक सदस्य ने इस बारे में प्रशासन और एसईसीएल को इसकी शिकायत की। इसमें कहा गया कि मजदूरों को सेफ्टी के लिए ड्रेस, टोपी, जूते वर्ष में एक बार दिए जाते हैं। काम के दौरान इनमें किसी प्रकार की टूट-फूट होने पर मजदूर अपनी धनराशि से इन्हें बाजार से खरीदते हैं। कंपनी के लिए काम करने वाले कर्मचारियों का कहना है कि श्रमिकों से कैसे काम लेना है और वेतन भुगतान के बाद रूपयों को लेने का जो नियम है वह उपर से आदेशित है। हमें कई जगह रुपया बांटना पड़ता है, ऐसे में यह सब तो होगा ही। प्रोजेक्ट मैनेजर की भूमिका को भी इस खेल में अहम बताया गया है। दावा किया गया कि जो मजदूर वेतन के बाद आधी राशि वापस नहीं करते हैं या आनाकानी करते हैं उन्हें काम से हटा दिया जाता है। उनके खिलाफ यातना और षड्यंत्र आम बात है।
मजदूर हित में लड़ेंगे कोर्ट की लड़ाई
रानीअटारी विजय वेस्ट माइंस में मजदूरों के आर्थिक हितों पर कुठाराघात होने का यह मामला कोर्ट में जा सकता है, ऐसा जनपद सदस्य के द्वारा कहा गया। उन्होंने प्रशासन के साथ-साथ एसईसीएल प्रबंधन से कहा है कि उनकी उपस्थिति में कार्यरत मजदूरों का बयान लिया जाए। जिस तरीके से यहां पर कामकाज चल रहा है, उसमें ठेकेदार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं, इस पर रोक लगाने की जरूरत है। कहा गया कि हर महीने कामगारों की मेहनत के लाखों रुपए ठेकेदार और उनके संरक्षणदाताओं की जेब में जा रहे हैं जो सिस्टम पर बड़ा हमला है। जनपद सदस्य पुटीपखना संतोष मरावी ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि अगर स्थानीय स्तर से बात नहीं बनी तो न्यायालय में मजदूरों के लिए संघर्ष करेंगे।