
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की एक ऐतिहासिक प्राथमिक शाला राज्य सरकार के युक्तियुक्तकरण नीति का शिकार होकर विलुप्त हो रही है। सन 1910 में स्थापित इस प्राथमिक पाठशाला तिलकेजा को एक डिप्टी सीएम, एक गृहमंत्री और एक सांसद सहित अनेक विभूतियों को शिक्षा दीक्षा देने का श्रेय है।
पाठशाला का ऐतिहासिक महत्व
इस पाठशाला ने प्रदेश और देश को अनेक प्रतिभाएं गढ़कर भेंट की। यहां से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी, शिक्षाविद, शासकीय सेवक और मंत्री ने भी अपनी शिक्षा यात्रा की शुरुआत की थी।
पूर्व छात्रों की पहचान
इस पाठशाला से पढ़े कुछ प्रमुख व्यक्तियों में शामिल हैं:
- स्व.प्यारेलाल कंवर, रामपुर विधानसभा से सात बार के विधायक और अविभाजित मध्यप्रदेश में राज्यमंत्री से लेकर उप- मुख्यमंत्री
- ननकीराम कंवर, अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के कद्दावर आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री
- स्व.डॉक्टर बंशीलाल महतो, कोरबा सहित आदिवासी क्षेत्रों में “गरीबों का डॉक्टर” कहे जाने वाले और पूर्व सांसद
- श्यामलाल कंवर, पूर्व पुलिस अधिकारी और पूर्व विधायक
- विलोपन का निर्णय
शासन की युक्तियुक्तकरण की योजना के तहत इस पाठशाला के विलोपीकरण का निर्णय लिया गया है। इसका विलोपन तिलकेजा की कन्या आश्रम में किया गया है, हालांकि दोनों शालाएं एक ही कैंपस में हैं।
आरोप और मांग
आरोप है कि कोरबा जिला शिक्षा विभाग ने राज्य शासन के स्पष्ट निर्देश के बावजूद इस ऐतिहासिक महत्व के स्कूल को तिलकेजा के ही कन्या आश्रम में मर्ज किया है, जिससे इस ऐतिहासिक स्कूल का नाम और पहचान समाप्त हो जाएगी। ग्रामवासियों ने पाठशाला को कन्या आश्रम में मर्ज नहीं करने की मांग की है।
पूर्व गृह मंत्री ने प्रमाणित किया पाठशाला का ऐतिहासिक महत्व
- प्राथमिक शाला तिलकेजा के पूर्व विद्यार्थी और छत्तीसगढ़ के पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने एक पत्र जारी कर पाठशाला तिलकेजा के ऐतिहासिक महत्व को प्रमाणित किया है।
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन क्या करता है
अब देखना होगा कि जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग अपनी गलती को सुधारता है या नहीं और पाठशाला तिलकेजा के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखते हुए कोई फैसला लेता है या नहीं।