
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगभग पांच महीने पहले मंजूरी दिए जाने के बावजूद विभिन्न हाई कोर्ट लंबित आपराधिक मामलों से निपटने के लिए तदर्थ (एड हॉक) जजों की नियुक्ति को लेकर इच्छुक नहीं दिख रहे हैं। केंद्र सरकार के पास उपलब्ध विवरण से यह जानकारी मिली है। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति प्रक्रिया से वाकिफ लोगों के मुताबिक, अभी तक किसी भी हाई कोर्ट कोलेजियम ने तदर्थ जज के तौर पर नियुक्त किए जाने वाले सेवानिवृत्त जजों के नाम की सिफारिश नहीं की है।
किसी भी हाईकोर्ट ने नहीं भेजा प्रस्ताव
देश में 25 हाई कोर्ट हैं, लेकिन 11 जून तक किसी भी हाई कोर्ट कोलेजियम ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं भेजा। सुप्रीम कोर्ट ने 18 लाख से ज्यादा लंबित आपराधिक मामलों के मद्देनजर 30 जनवरी को हाई कोर्टों को तदर्थ जजों की नियुक्ति करने की इजाजत दी थी, बशर्ते इनकी संख्या अदालत के लिए स्वीकृत कुल जजों के पदों के 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो।