कोरबा। एक मरीज को उपचार देने के मामले में भेदभाव करने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने कार्रवाई की। मानसिक और आर्थिक क्षतिपूर्ति के लिए 10 हजार और वाद व्यय के लिए 460 रुपए देने को कहा गया। 17 अप्रेल, 2025 को पारित अपने आदेश में लिखा है कि अस्पताल प्रबंधन ने परिवादी के प्रति सेवा में कमी एवं व्यवसायिक कदाचरण का कृत्य किया जाना प्रमाणित पाया जाता है।
एनटीपीसी, जमनीपाली निवासी मोहम्मद सादिक शेख द्वारा एनटीपीसी, कोरबा के शल्य चिकित्सक धमेन्द्र प्रसाद एवं सीएमओ डा. विनोद काल्हटकर के विरूद्ध इलाज में भेदभाव करने संबंधी परिवाद अधिवक्ता अब्दुल नफीस खान के माध्यम से जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में प्रकरण प्रस्तुत किया गया था। इसमें बताया गया था कि 2 अगस्त, 2024 को घर की छत पर कार्य करने के दौर फिसलकर गिर जाने से बायें पसली में चोट आ गई थी। इलाज के लिए संध्या को निर्धारित शुल्क जमा कर एनटीपीसी, कोरबा के विभागीय अस्पताल में शल्य चिकित्सक धमेन्द्र प्रसाद को दिखाया गया था। डॉक्टर ने एनटीपीसी कर्मचारियों को प्राथमिकता देने के बाद मोहम्मद सादिक शेख को बुलाया तथा दवाइयां लिखते हुए एक्सरे के लिए कहा, लेकिन देर हो जाने के कारण एक्सरे कक्ष बंद हो चुका था। डाक्टर ने दूसरे दिवस आकर एक्सरे कराने कहा। 3 अगस्त, 2024 को पीडि़त ने शुल्क जमा कर एक्सरे करवाया तथा इसकी रिपोर्ट दिखाने डा. धमेन्द्र प्रसाद के पास गए। श्री शेख का दूसरा क्रम था, लेकिन इस बीच एक के बाद एक एनटीपीसी कर्मचारी इलाज के लिए आने लगे और डा. धमेन्द्र प्रसाद द्वारा उन्हें देखा जाने लगा। इस पर पीडि़त द्वारा आपत्ति जताई गई और कहा गया कि उनका दूसरा नम्बर और उनका नम्बर लगाने के बाद चार एनटीपीसी कर्मचारी को देखा गया। इस पर डा. धमेन्द्र प्रसाद ने कहा कि यह उनका प्रोटोकॉल है कि एनटीपीसी के कर्मचारी और उनके परिवार का इलाज पहले किया जाएगा। प्रोटोकॉल दिखाने की बात कही गई तो डा. धमेन्द्र प्रसाद भडक़ गए। इस बारे में दर्री थाना में शिकायत की गई और फिर यह मामला उपभोक्ता आयोग में लगाया गया। आयोग के अध्यक्ष रंजना दत्ता और सदस्य पंकज देवड़ा की बेंच ने इस पर फैसला दिया। इस कार्रवाई से लोगों तक जानकारी पहुंची है कि स्वास्थ्य के मामले में उनके अधिकार क्या हैं और संस्थाओं में ऐसा कोई झमेला होता है तो उनका उपचार भी उचित प्लेटफार्म पर हो सकता है।