
कोरबा। कोरबा पावर लिमिटेड (अदानी) में कार्यरत कर्मचारियों के पंजीकृत व्यवसायिक संगठन भू-विस्थापित मजदूर संघ ने जिला कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी कोरबा को पत्र लिखकर 6 अक्टूबर 2025 को जारी किए गए आदेश पर पुनर्विचार करने और उसकी निष्पादन कार्यवाही को स्थगित रखने की माँग की है।
संघ ने आरोप लगाया है कि कोरबा पावर लिमिटेड प्रबंधन ने जिला प्रशासन को गुमराह करते हुए संयंत्र क्षेत्र को निषिद्ध क्षेत्र घोषित करने की अनुशंसा की है। जबकि संयंत्र में कार्यरत श्रमिकों, कर्मचारियों और उनके मान्यता प्राप्त प्रतिनिधि संगठनों को न तो कोई पूर्व सूचना दी गई और न ही सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। संघ ने इसे पूर्णत: विधि-विरुद्ध और एकतरफा निर्णय बताया है। संघ के अध्यक्ष प्रवीण ओगरे ने संयुक्त रूप से हस्ताक्षरित ज्ञापन में कहा है कि भू-विस्थापित मजदूर संघ कोरबा पावर लिमिटेड में कार्यरत कर्मचारियों का वैधानिक पंजीकृत संगठन है, जो भारत सरकार से मान्यता प्राप्त केंद्रीय श्रमिक संगठन ‘नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन्स’ (हृस्नढ्ढञ्ज) से संबद्ध है। यह संघ संयंत्र में कार्यरत श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा तथा उनके हितों के संरक्षण के लिए लगातार कार्य करता रहा है। संघ ने बताया कि कोरबा पावर लिमिटेड का संयंत्र ग्राम पताढ़ी, पोस्ट तिलकेजा, तहसील कोरबा (छ.ग.) में स्थित है, जो आसपास के ग्राम पताढ़ी, पहंदा, खोड्डल, ढनढनी, सरगबुंदिया एवं कटबितला को सीधे प्रभावित करता है। यहाँ बड़ी संख्या में भू-विस्थापित मजदूर कार्यरत हैं, जो लंबे समय से अपनी वैधानिक माँगों के समर्थन में शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन, धरना एवं प्रदर्शन करते आए हैं। संघ के अनुसार श्रमिकों के ये आंदोलन हमेशा संवैधानिक दायरे में और शांतिपूर्ण रहे हैं। किसी भी आंदोलन में संयंत्र की संपत्ति को नुकसान पहुँचाने या उत्पादन बाधित करने का उद्देश्य कभी नहीं रहा।


























