
कोरिया बैकुंठपुर। कोरिया जिला अपनी राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और अंदरूनी प्रतिद्वंद्विता के लिए अक्सर सुर्खियों में बना रहता है। जिले की जनता आज भी उन फैसलों को नहीं भूल पाई है जिनके कारण जिले का विभाजन हुआ। विकास कार्यों में बाधा उत्पन्न हुई और आम नागरिकों को परेशानी उठानी पड़ी। राजनीतिक खींचतान के चलते कई महत्वपूर्ण कार्य अधर में लटक गए। ताज़ा मामला जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से संबंधित है, जहां पुलिस अधीक्षक कार्यालय की स्थापना प्रशासनिक ढांचों पर विवाद ने फिर एक बार राजनीति का रंग दिखा दिया है।
जिले की जनता का कहना है कि कोरिया जिला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का सबसे बड़ा शिकार रहा है। नेशनल हाइवे का बाईपास हो या फिर जिला विभाजन, हर जगह राजनीति का असर सा$फ दिखाई देता है। कई बार जिले की ज़रूरतों और जनता की मांगों को अनदेखा कर केवल व्यक्तिगत और दलगत स्वार्थों के कारण फैसले लिए गए। जनता इसे कभी मा$फ करने के मूड में नहीं दिखती।
जिले के प्रशासनिक ढांचे में कई ऐसे कार्यालय हैं जिन्हें व्यावहारिक दृष्टि से जिला मुख्यालय में होना चाहिए था, मगर राजनीतिक कारणों से उन्हें आसपास के ग्राम पंचायतों में स्थापित कर दिया गया। इस निर्णय ने न केवल आम जनता की समस्याएं बढ़ाईं बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया कि सस्ती और घटिया राजनीति किस तरह विकास के रास्ते में रोड़ा अटकाती है। कार्यालयों का ग्राम पंचायतों में होना ग्रामीणों के लिए सुविधा की बजाय असुविधा का कारण बन गया है। सबसे बड़ा विवाद पुलिस अधीक्षक कार्यालय को लेकर खड़ा हुआ है। जिले का पुलिस अधीक्षक कार्यालय प्रशासनिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह कार्यालय न केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखने में भूमिका निभाता है बल्कि जिले की सुरक्षा व्यवस्था और अपराध नियंत्रण की रीढ़ की हड्डी भी है। ऐसे में इस कार्यालय के निर्माण और स्थान को लेकर हो रहा विरोध राजनीति से प्रेरित प्रतीत होता है। कुछ राजनीतिक दल और स्थानीय नेताओं ने इस मुद्दे को अपने स्वार्थ के लिए हवा दी है, जिससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है। जिले के लोगों का मानना है कि जिला मुख्यालय का हर महत्वपूर्ण कार्यालय बैकुंठपुर जैसे केंद्रीय और सुलभ स्थान पर होना चाहिए। बैकुंठपुर भौगोलिक दृष्टि से जिले का केंद्र है और यहाँ से जिले के अन्य हिस्सों तक पहुंचना अपेक्षाकृत आसान है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय का विरोध करना सीधे-सीधे जनता के हितों के खिला$फ जाता है। जनता चाहती है कि राजनीति से ऊपर उठकर प्रशासनिक निर्णय लिए जाएं। इन सब विवादों और विरोधों को देखते हुए अब जिला मुख्यालय के समीप ग्राम पंचायत सलका को एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। सलका क्षेत्र में हजारों हेक्टेयर राजस्व भूमि उपलब्ध है, जहां पर पुलिस मुख्यालय का निर्माण सहजता से किया जा सकता है। यह स्थान न केवल पर्याप्त भूमि उपलब्ध कराता है बल्कि जिला मुख्यालय के निकट होने के कारण भी उपयुक्त साबित होता है। अगर पुलिस अधीक्षक कार्यालय और अन्य महत्वपूर्ण दफ्तर एक ही जगह, यानी जिला मुख्यालय या उसके आसपास बने, तो लोगों का समय और श्रम दोनों बचेगा। साथ ही, अपराधों पर नियंत्रण रखने और प्रशासनिक गतिविधियों को गति देने में भी सुविधा होगी। प्रशासनिक जानकारों का मानना है कि पुलिस मुख्यालय जैसी संवेदनशील और महत्वपूर्ण इमारत को कहीं दूर स्थापित करना व्यावहारिक नहीं है। यह कार्यालय जिले के केंद्र में होना चाहिए ताकि आकस्मिक स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके। ग्राम पंचायत सलका के पास उपलब्ध भूमि इस दृष्टि से उपयुक्त है क्योंकि यह जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से सटा हुआ है और वहां पहुंचना आसान है। राजनीतिक दलों के लिए यह आवश्यक है कि वे इस मुद्दे को राजनीति से ऊपर उठकर देखें। जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए एकजुट होकर निर्णय लें। जिले के विकास कार्यों में सहयोग देना ही किसी भी दल का असली उद्देश्य होना चाहिए। जनता अब राजनीतिक नोंक-झोंक से थक चुकी है और ठोस समाधान चाहती है।