
जनकपुर। एमसीबी जिले की विकासखंड मुख्यालय जनकपुर के नगरवासी इन दिनों सडक़ ठेकेदार की मनमानी के कारण धूल में सांस लेने को मजबूर है। वहीं जिम्मेदार प्रशासन मौन बना हुआ है।
विदित हो कि जनकपुर बस्ती मनेन्द्रगढ़ तिराहा से बनास नदी पुल तक लगभग 03 किलोमीटर की मुख्य सडक़ निर्माण के लिए शासन द्वारा लगभग 07 करोड़ का बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन जिस ढंग से इस सडक़ निर्माण कार्य की शुरुआत हुई है, उसने शासन-प्रशासन की गंभीरता और ठेकेदार की नीयत दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ठेकेदार द्वारा काम की शुरुआत उन सुनसान हिस्सों से की गई है, जहाँ न जनता की पहुँच है, न मीडिया की निगरानी, और न ही किसी प्रकार की जवाबदेही का दबाव ही है। ठेकेदार द्वारा इस सडक़ में बड़ी साइज की गिट्टी बिछा दिया गया जो कि वाहनों के चलने से गिट्टी बिखरने लगी, जिसे छिपाने के लिए ठेकेदार ने गिट्टी के ऊपर डस्ट दल दिया। लेकिन डस्ट के ऊपर रोजाना पानी का छिडक़ाव नहीं करने से सडक़ पर वाहनों के चलने से यही डस्ट धूल बनकर उड़ रही है। जिससे सुबह से लेकर शाम तक पूरा कस्बा डस्ट की धूल के बादल में घिरा रहता है। जिससे दुकानदारों का सामान, खाने-पीने की वस्तुएँ और घरों की दीवारें तक धूल की परत जमीं रहती हैं। वहीं स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस सडक़ में गिट्टी के ऊपर डाली गई डस्ट की धूल से अब साँस लेना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं लंबे समय से सडक़ निर्माण की प्रतीक्षा कर रहे नागरिक अब खुले तौर पर कह रहे हैं कि सडक़ निर्माण कार्य को देखने से यह प्रतीत हो रहा है कि शासन की प्राथमिकता जनहित नहीं बल्कि भुगतान केंद्रित नजर आ रहा है।
हालांकि सडक़ से निकलने वाली धूल प्रदूषण और तेज रफ्तार वाहनों से बढ़ते खतरे को देखते हुए जनकपुर नगर के नागरिक अब सक्रिय हो गए हैं। नागरिकों का कहना है कि सडक़ निर्माण के दौरान अत्यधिक शोर और वायु प्रदूषण भी हो रहा है, जिससे बच्चों और बुजुर्गों का स्वास्थ्य गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है।
धूल, प्रदूषण और दुर्घटनाओं की सम्भावनाओं से जूझ रही जनता अब जिम्मेदार शासन प्रशासन से अपेक्षा कर रही है कि सडक़ कार्य को पारदर्शी और क्षेत्रीय आवश्यकता के अनुरूप बनाया जाए।













