जांजगीर चांपा। जिले में शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में डीईओ, बीईओ और डिप्टी कलेक्टर की मनमानी जमकर चली है। इनके द्वारा नियमों को तोड़ मोडक़र अपने सुविधा और संतुलन के हिसाब से परिभाषित किया गया है। सहायक शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में महिलाओं को तीस से चालीस किमी दूर के स्कूल में पदस्थ किया गया है।
काउंसिलिंग में महिलाओं को वरीयता दी गई थी जो यहां उनके लिए अभिशाप बन गया।पुरुष शिक्षक यथावत अपने स्कूल में हैं और महिलाओं को दूर जाना पड़ रहा है। यह किस तरह की काउंसिलिंग है। वहीं इस जिले के लगभग 100 शिक्षकों को दूसरे जिले में भेज दिया गया है। यह इस जिले के लिए बड़ा नुकसान है। इन शिक्षकों को भी ऐसे स्कूलों में भेजा गया है जहां दर्ज संख्या कम है और वहां जाकर इन्हें दूसरे विषय को पढ़ाना है। यही काम ये शिक्षक इस जिले में भी कर सकते हैं। सारंगढ़ सहित प्रदेश के अन्य कई जिलों के शिक्षकों को जिले के ही स्कूल समायोजित किया गया है मगर यहां के अधिकारी शिक्षकों का मानसिक शोषण पर उतारू हैं। जिन शिक्षकों को स्कूल में पढ़ाना था वे माह भर से हाईकोर्ट और जिला स्तरीय, संभाग स्तरीय कमेटी में अभ्यावेदन लेकर भटक रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई चौपट है और अधिकारी अभ्यावेदन के निराकरण के नाम पर माह बी भर मीटिंग में लगे हुए हैं मगर समस्या का हल निकालने की मंशा उनकी नहीं है। कुछ लोगों के अभ्यावेदन में शिक्षकों को राहत मिली है मगर उसके लिए दोषी अधिकारियों को कोई दंड नहीं मिला है। किसी ब्लाक में कला के शिक्षक को कला तो कहीं हिंदी का शिक्षक माना गया है दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकती है। मगर नौकरशाहों की जिद के आगे जिले के सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक के नेताओं की एक नहीं चली।जिसका खामियाजा शिक्षकों के साथ विद्यार्थियों को भी भुगतना पड़ रहा है। क्या नियमों को तोडऩे वाले ऐसे लापरवाह नौकरशाहों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज नहीं होना चाहिए जो शासकीय नियमों की व्याख्या अपनी सुविधा के अनुसार। करें, ऐसे अधिकारी समाज प्रदेश और राष्ट्र के लिए घातक हैं इनके खिलाफ सभी प्रभावित शिक्षक और उनके परिजन को एक जुट होकर राष्ट्रपति, राज्यपाल से शिकायत करने की तैयारी में हैं।महिला शिक्षक एकजुट होकर राष्ट्रीय और राज्य स्तर के महिला आयोग में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं। उनकी मांग है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो चाहे वह डिप्टी कलेक्टर हो संयुक्त संचालक हो, डीईओ हो या बीईओ हो ।
255 पद के लिए433 शिक्षकों की काउंसिलिंग
क्या 255 पद के लिये 433 शिक्षकों की काउन्सलिंग हो सकती है, और यदि हो सकती है तो जिन्होंने जगह का चयन नहीं किया उनके स्थान पर दूसरे को अवसर क्यों नहीं दिया गया।यदि काउंसिलिंग की जा सकती है तो जिन्होंने जगह का चयन नहीं किया उनके स्थान पर दूसरे को अवसर दिया जाए और बिना सहमति के जारी किया गया आदेश निरस्त किया जाए