नई दिल्ली। राजनीतिक दलों से जुड़े बूथ लेवल एजेंटों ( बीएलए) की भूमिका अब चुनाव के दौरान आरोप-प्रत्यारोपों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि आने वाले दिनों में चुनावी निष्पक्षता में भी हाथ बंटाएंगे।
मतदाता सूची तैयार करने से लेकर मतदान होने तक की पूरी चुनावी प्रक्रिया में मतदान केंद्रों पर राजनीतिक दलों से जुड़े बीएलए की महती भूमिका को देखते हुए चुनाव आयोग ने पहली बार इनके प्रशिक्षण का एक बड़ा अभियान शुरू किया है। जिसकी शुरूआत बिहार से की गई है, जहां इसी साल के अंत तक विधानसभा का चुनाव होना है। जल्द ही ऐसा ही प्रशिक्षण कार्यक्रम तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के बीएलए को लेकर भी शुरू होगा। जहां अगले साल विधानसभा के चुनाव होने है।

आयोग क्या मानता है?

आयोग ने यह पहल चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों की ओर से मतदाता सूची, ईवीएम और मतगणना आदि को लेकर उठाए जाने वाले सवालों के बाद शुरू की है। आयोग का मानना है कि इसके पीछे राजनीतिक दलों से जुड़े जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच चुनावी प्रक्रिया को लेकर बेहतर समझ का न होना है। ऐसे में चुनाव के दौरान उनकी ओर से नए-नए सवाल खड़े किए जाते है। आयोग का मानना है कि जिस मतदाता सूची को लेकर चुनाव के दौरान या उसके खत्म होने के बाद सवाल खड़े किए जाते है, यदि मतदाता सूची तैयार होने के बाद ही सतर्कता रखी जाए तो ऐसी गलतियां न हो।

यही वजह है कि आयोग ने बिहार की दस मान्यता दलों के करीब 280 बूथ लेवल एजेंटों के दो दिन के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें उन सभी पहलुओं से अवगत कराया, जो निष्पक्ष चुनाव के लिए अहम है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार सहित पूरा आयोग मौजूद रहा। आयोग ने एजेंटों से जुड़ी शंकाओं और सवालों का भी खुलकर जवाब दिया।