कोरबा। वनमंडल कोरबा में किसानों की फसलों के साथ आम ग्रामीणों की संपत्ति को लगातार नुकसान पहुंचाने में निरंकुश हाथी अग्रणी है। लोगों को समस्या से छुटकारा नहीं मिल रहा है।
कोरबा जिले के दोनों वनमंडल में लगभग दो दशक से हाथी उत्पात की समस्या कायम है और हाथी नियंत्रण फ्लाप शो बनकर रह गया है। कोरबा वनमंडल का कुदमुरा रेंज धरमजयगढ़ वनमंडल से लगा हुआ है। मांड नदी पार करते ही छाल रेंज आ जाता है। वहां से हाथियों को भगाने पर कुदमुरा होते हुए दूसरे रेंज में पहुंच जाते हैं। धान की फसल अब पकने को तैयार है। ऐसे समय में किसानों को अधिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। नवापारा के किसानों ने बताया कि लंबे समय बाद हाथी इस क्षेत्र में पहुंचे हैं, लेकिन ग्राम के आसपास नहीं आ रहे हैं। धान की फसल को दिन में भी खा रहे हैं।
कुदमुरा रेंज में एक दंतैल हाथी अलग से घूम रहा है। करतला रेंज में सबसे अधिक 52 हाथी घूम रहे हैं। इनमें नवापारा में 20, कोटमेर में 31 और चोरभट्टी में एक दंतैल घूम रहा है। कोरबा रेंज के घेराव 80 हाथी घूम रहे हैं। कटघोरा वन मंडल में 54 हाथी अलग-अलग रेंज में घूम रहे हैं। हाथियों की निगरानी के लिए वन विभाग की टीम लगी है, लेकिन फसल को नुकसान होने से नहीं रोक पा रहे हैं। ड्रोन कैमरे से भी हाथियों की निगरानी हो रही है। उनके मूवमेंट के आधार पर ग्रामीणों को सतर्क किया जा रहा है।
32 किसानों की मेहनत पर फेरा पानी
हाथियों की संख्या बढक़र 61 हो गई है। 10 हाथी धरमजयगढ़ वन मंडल के छाल रेंज से पहुंचे हैं। हाथियों ने 32 किसानों की फसल को नुकसान पहुंचाया है। फसल को बचाने ही ग्रामीण हाथियों को भगाने में जुटे हैं। इसकी वजह से हाथियों की संख्या भी बढऩे लगी है।

आकांक्षी जिले में किसानों को नुकसान, भरपाई कैसे
कटघोरा वनमण्डल के एतमानगर रेंज के ग्राम पचरा और उसके आसपास के गांव के लोग गजराजों के चक्कर में सहमे हुए हैं। करीब 50 हाथियों का विशाल झुंड दिनदहाड़े गांवों के पास तक पहुंच गया, खेतों को रौंदा, और तैयार फसलों को नुकसान पहुँचाया। ग्रामीण पूरी रात जागकर जान-माल की रक्षा करने को मजबूर हैं। हाथियों का दल गांव की बस्ती के एकदम नजदीक पहुंच गया। ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाते हुए ढोल, मशाल और आवाज़ों की मदद से उन्हें जंगल की ओर खदेड़ा। इस दौरान वन विभाग की टीम भी मौके पर मौजूद रह। ग्रामीणों ने इस प्रकार के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। ग्राम पचरा के लोगों ने सरपंच और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ अति आवश्यक बैठक की है। ग्रामीणों ने प्रशासन से साफ मांग की है गांव की सीमा पर फेंसिंग की जाए, वन विभाग की टीम लगातार गश्त पर रहे, और हाथियों की गतिविधियों की तुरंत सूचना ग्रामीणों तक पहुँचे। सवाल इस बात का है कि भारत सरकार के आकांक्षी जिले कोरबा में जिन कारणों से लोगों को क्षति हो रही है उसकी भरपाई कैसे होगी।