
सवाल- आखिर क्या कीमत चुकानी होगी जमीन से उजडऩे की
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की कुसमुंडा, दीपका और गेवरा परियोजनाओं में कोयला खदानों के विस्तार का काम तेज़ी से जारी है। कोरबा की धरती से निकलने वाला यह ब्लेक गोल्ड देश की औद्योगिक रफ्तार बढ़ाने का माध्यम तो बन रहा है, मगर इसके पीछे छिपी विस्थापितों की कहानी अब भी अधूरी है।
एसईसीएल की गेवरा माइंस को अगले लक्ष्य के तहत 72 लाख टन वार्षिक कोयला उत्पादन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि दीपका क्षेत्र से 52 लाख टन और कुसमुंडा क्षेत्र से लगभग 40 मिलियन टन वार्षिक उत्पादन का प्रस्ताव है। इन तीनों परियोजनाओं के विस्तार के लिए लगातार आसपास के गांवों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है। लेकिन इस विकास यात्रा की कीमत चुका रहे हैं, वे लोग जिनकी जमीनें, घर और पूर्वजों के यादें इस खदान की सीमा में हमेशा के लिए समा गईं। विस्थापित ग्रामीणों का कहना है कि जमीन देने के बावजूद उन्हें न तो वाजिब मुआवजा मिला, न वादा की गई नौकरी, और न ही संतोषजनक पुनर्वास की सुविधा। कुछ परिवार वर्षों से दस्तावेज़ और आदेशों के बीच भटक रहे हैं, लेकिन समाधान कहीं दिखाई नहीं देता।
कब तक झेलनी होगी ये दुश्वारिया
कई गांवों में पुनर्वास कॉलोनियां अधूरी पड़ी हैं, तो कहीं मुआवजा वितरण में भारी देरी हो रही है। पीढ़ी दर पीढ़ी खेती कर जीविकोपार्जन करने वाले परिवार अब रोज़गार की तलाश में दर-दर भटकने को मजबूर हैं। कोरबा जिले की कोयला खदानें देश की ऊर्जा आवश्यकताओं की रीढ़ मानी जाती हैं। लेकिन इसी कोयले की कालिमा ने हजारों परिवारों के जीवन में अंधेरा भर दिया है। सरकारी और कंपनी स्तर पर बार-बार यह तर्क दिया जाता है कि देश की औद्योगिक प्रगति के लिए कोयले की मांग पूरी करना अनिवार्य है।
विजय सेंट्रल कोल ब्लॉक का विरोध
कोरबा जिले में खनन संबंधी गतिविधियां जहां बढ़ रही है वहीं उनका विरोध हो रहा है। चिरमिरी क्षेत्र के अंतर्गत विजय सेंट्रल कॉल ब्लॉक का आवंटन पिछले दिनों आक्शन प्रणाली से किया गया। पश्चिम बंगाल की कंपनी रूंगटा संस को इसका काम मिला है। क्षेत्र के संगठनों ने 725 एकड़ के क्षेत्र में कोयला खनन के अधिकार निजी क्षेत्र को देने का विरोध किया। उन्होंने पर्यावरण को भी इसका आधार बताया। राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम का ज्ञापन लोगों ने स्थानीय प्रशासन को सौपा है और मांग की है पर्यावरण के प्रतिकूल इस प्रकार के काम किया जा रहे हैं । इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। इससे पहले जिले में और भी स्थान पर ऐसे घटनाक्रम को लेकर लोगों ने विरोध किया है। हालांकि उनके बहुत अच्छे नतीजे नहीं आ सके और परियोजनाएं क्रियान्वित हुई।



















