नई दिल्ली। पाकिस्तान से सटी देश की पश्चिमी सीमा पर तीनों सेनाओं के संयुक्त युद्धाभ्यास त्रिशूल का आगाज हो गया। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला मौका है जब भारत किसी सामरिक चुनौती से निपटने के लिए युद्ध के सभी संभावित क्षेत्रों में अपने युद्धकौशल का परीक्षण कर रहा है। राजस्थान और गुजरात के सीमाई इलाकों में इस अभ्यास को एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है कि यदि पाकिस्तान ने इस बार हिमाकत की तो जवाब सीमा पार तक जाएगा। भारत यह रणनीतिक संदेश देना चाहता है कि वह सीमाओं की सुरक्षा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के 25 हजार से ज्यादा जवान शामिल होंगे। अभ्यास में राफेल और सुखोई जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, ऑपरेशन सिंदूर में लोहा मनवा चुके ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम, युद्धक टैंक, इन्फैंट्री कॉम्बैट वाहन, हेलिकॉप्टर, लंबी दूरी की क्षमता वाले आर्टिलरी सिस्टम्स, ड्रोन्स और नौसेना के युद्धपोत हिस्सा ले रहे हैं। सेना के तीनों अंग गुजरात व राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों में संयुक्त ऑपरेशन, शत्रु सीमा में गहराई तक वार करने की क्षमता और मल्टी डोमेन वॉरफेयर का अभ्यास करेंगे।

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