
नई दिल्ली। लाल किले के बाहर हुए बम धमाके में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से एक शास्त्री पार्क के जुम्मन की भी दर्दनाक मौत हो गई। शव के नाम पर एक हाथ से जुड़ा धड़ का कुछ हिस्सा ही बचा था। स्वजन ने उनकी काफी तलाश की और आखिरकार मंगलवार दोपहर को उनकी नीले रंग की जैकेट के आधार पर उनकी दिव्यांग पत्नी ने शव को पहचाना और उनका पोस्टमार्टम के बाद शव स्वजनों को सौंप दिया गया।स्वजन शव लेकर घर पहुंचे और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक भी कर दिया। इसके बाद जब उनके कागजात की जांच की गई तो पता चला कि उनका पोस्टमार्टम अज्ञात के नाम कर दिया गया। मोर्चरी से मिले कागजात में उसकी कोई पहचान भी अंकित नहीं की गई थी। ऐसे में अस्पताल से संपर्क किया तो उनको ठीक से उत्तर नहीं मिला। बृहस्पतिवार को जुम्मन के चाचा मोहम्मद इदरीस और बहन नाजमा मोर्चरी पहुंचे तो उनको बाद में आने के कहकर वापस भेज दिया गया। ऐसे में पूरे घर का खर्चा उठाने वाले जुम्मन की मौत के बाद भी स्वजन मोर्चरी में धक्के खाने को मजबूर हैं। जुम्मन शास्त्री पार्क स्थित बुलंद मस्जिद के पास सपरिवार रहते थे। उनके चाचा मो. इदरीस ने बताया कि विस्फोट में जुम्मन का सिर, हाथ व कमर का हिस्सा नहीं था। सिर व कमर के नीचे का हिस्सा उड़ गया था। सिर्फ शरीर के बीच का सिर्फ आधा हिस्सा ही बचा था। इस वजह से उन्हें पहचान पाना मुश्किल था। एलएन अस्पताल में उनकी एमएलसी अज्ञात के रूप में बनी थी। वह लाल किला और चांदनी चौक के आसपास ई-रिक्शा चलाते थे। प्रतिदिन की भांति उस दिन भी वह ई-रिक्शा चला रहे थे। जुम्मन के ई-रिक्शा में जीपीएस लगा था। उसके जीपीएस का अंतिम लोकेशन घटना स्थल के पास का दिख रहा था।इस वजह से घटना के बाद परिवार के लोग उनकी तलाश करते रहे। लेकिन कुछ पता नहीं चल पा रहा था। उन्होंने नीले रंग की जैकेट पहनी थी। बाद में कपड़े और हाथ पर लगी पुरानी चोट के निशान से उनके शव की पहचान हुई। इसके बाद पोस्टमार्टम हुआ।
तत्पश्चात शव के साथ जो एमएलसी की जो प्रति मिली उस पर अज्ञात ही दर्ज था।परिवार के लोगों ने मुआवजे के लिए जब गुहार लगाना शुरू किया तब यह गलती पकड़ में आई। जुम्मन शादीशुदा थे। उनकी दो बेटियां व एक बेटा सहित तीन बच्चे हैं। उनकी परवरिश करने वाला अब कोई नहीं है। जुम्मन के परिवार ने सरकार से अपील की है कि वह परिवार की हर संभव मदद करे।जुम्मन की बहन नाजमा ने बताया कि घर में पहले ही खाने के लाले थे। किसी तरह जुम्मन ने किस्तों पर ई-रिक्शा लिया था। उसकी कुछ ही किस्त गई थी। जुम्मन की मौत ने पूरा परिवार खत्म कर दिया है। जुम्मन के तीन छोटे मासूम बच्चे हैं। जुम्मन किसी तरह बीमार मां, दिव्यांग पत्नी और तीनों बच्चों को पाल रहा था। अच्छा किराया मिलने की वजह से जुम्मन लाल किला पर आकर रिक्शा चलाता था।














