नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी, जिसमें बीएमसी को शहर में कबूतरखानों में कबूतरों को दाना डालने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया गया था। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस विजय बिश्नोई की पीठ ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कहा कि समानांतर भोग अनुचित है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता आदेश में संशोधन के लिए हाई कोर्ट जा सकता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या दिया था आदेश?

सुप्रीम कोर्ट पशु प्रेमियों और अन्य लोगों की ओर से बॉम्बे हाई कोर्ट के एक आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा जन स्वास्थ्य और सभी उम्र के लोगों के लिए गंभीर और संभावित स्वास्थ्य खतरे से जुड़ा है। अदालत ने पहले बीएमसी को महानगर में किसी भी पुराने विरासत वाले कबूतरखाने को गिराने से रोक दिया था, लेकिन पक्षियों को दाना डालने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

किन लोगों ने दायर की थी याचिका?

कोर्ट ने तब कबूतरों के जमावड़े से उत्पन्न खतरे से मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा और सुरक्षा को सबसे बड़ी चिंता बताया था। यह याचिका पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसारिया और सविता महाजन ने दायर की थी, जिन्होंने दावा किया था कि बीएमसी ने बिना किसी कानूनी समर्थन के 3 जुलाई से भोजन स्थलों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था। उन्होंने तर्क दिया कि बीएमसी का कृत्य पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन है।