
नवाचार को बताया आज की जरूरत
कोरबा। संस्कृति कर्मी और राज्यपाल शिक्षक अलंकरण से सम्मानित पंडित शिवराज शर्मा ने कहा कि संस्कृति जीवन का एक ऐसा आयाम है जो व्यक्ति की सोच, व्यवहार और व्यक्तित्व को आकार देता है।
विशेष चर्चा में उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति संस्कृति की गहराई में उतरता है, तो उसके व्यक्तित्व में उसी अनुपात में परिपक्वता और सौंदर्य झलकता है। जैसे रंगों की परतें गहराई में जाकर और अधिक चमकती हैं, वैसे ही संस्कृति का प्रभाव भी जीवन में अधिक रंग भरता है। शिवराज शर्मा वर्तमान में एक शासकीय विद्यालय में प्रधान पाठक के रूप में कार्यरत हैं, मानते हैं कि संस्कृति मानव सभ्यता की छाया बनकर हमेशा उसके साथ चलती रही है। उन्होंने कहा कि हर युग की पहचान उसकी सांस्कृतिक विशेषताओं से होती है—चाहे वह कला हो, संगीत हो, रहन-सहन या सामाजिक व्यवहार। समय के साथ संस्कृति ने नए-नए रूप ग्रहण किए हैं, जिससे यह और अधिक जीवंत व समृद्ध बनी है।
विद्यार्थियों में नवाचार और लोक संगीत-भजन गायन जैसे पारंपरिक विधाओं को प्रोत्साहित करने के लिए पंडित शर्मा को छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। उनका मानना है कि आज के दौर में सकारात्मक विचारों का प्रचार और सद्व्यवहार की संस्कृति को बढ़ावा देना नितांत आवश्यक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि जब व्यक्ति सज्जनों के संग जुड़ता है, तो उसके भीतर सद्गुणों का विकास होता है और जीवन में प्रगति के नए मार्ग खुलते हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि शिक्षा व्यवस्था में सांस्कृतिक मूल्यों और लोक परंपराओं को उचित स्थान मिलना चाहिए ताकि नई पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे और उनमें सांस्कृतिक चेतना का विकास हो।