वर्चस्व का मामला, अपराध दर्ज
कोरबा। कोल इंडिया ही नहीं बल्कि दुनिया की बड़ी खदानों में शामिल कोरबा जिले में स्थित एसईसीएल की गेवरा खदान का बी-2 कोयला स्टॉक आज सुबह रणभूमि बन गया। यहां कोयला उठाव को लेकर दो गुटों में चाकूबाजी के साथ मारपीट हुई। कहा जा रहा है कि वर्चस्व को लेकर यह सब हुआ। मामले की सूचना मिलते ही 112 डायल कर पुलिस को बुलाया गया। दीपका पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि प्रकरण में मारपीट करने वाले कुसमुंडा क्षेत्र के पूर्व कांग्रेसी पार्षद के खासमखास हैं।
पुलिस के अनुसार मंगलवार की सुबह 5.30 बजे के आसपास साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की गेवरा माइंस के अंतर्गत यह गंभीर घटना हुई। इसका केंद्र बिंदु था बी-2 कोल स्टॉक। खबर में कहा गया कि आरोपी बल्ला, चंदन, रवि ,बंधन समेत अन्य ने मुंडियानार भिलाई बाजार निवासी रविशंकर कंवर और छिंदपुर निवासी ईश्वर अनंत पर हमला किया। बताया जा रहा है कि घायल लोग रूंगटा कंपनी से संबंधित हैं। कोयला लोडिंग को लेकर आए दिन यहां विवाद होता है और वर्चस्व की लड़ाई अक्सर गुटों के बीच हिंसक रूप ले लेती है। खदान के अंदर सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ की तैनाती होने के बावजूद असामाजिक तत्वों का इस तरह से प्रवेश करना सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। सूत्रों के मुताबिक स्श्वष्टरु प्रबंधन की लापरवाही के चलते बिना अनुमति और पास के भी लोग खदान के भीतर घुस जाते हैं।
जानकारों का कहना है कि एसईसीएल प्रबंधन को सुरक्षा के लिए और सख्ती बरतने की जरूरत है। खदान के अंदर प्रवेश करने वाले हर कर्मी का पहचान-पत्र अलग रंग का और स्कैन योग्य होना चाहिए, जिससे निजी कंपनी और ठेका कर्मियों की पहचान स्पष्ट हो सके। सुरक्षा बढ़ाने से भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है। इस मामले में दीपका पुलिस ने फिलहाल धारा 294, 223,34 के तहत अपराध दर्ज कर मामले को संज्ञान में ले लिया है। आगे इस मामले में बलवा की धारा भी जुड़ सकती है।
घटना टल सकती थी…
जानकारी के अनुसार कोयला के स्टॉक में नियमानुसार लोडिंग इंस्पेक्टर को मौजूद होना चाहिए था लेकिन वह यहां पर नहीं था। नाइट शिफ्ट वाले इंस्पेक्टर की यह जिम्मेदारी बनती थी। कहां जा रहा है कि अगर इंस्पेक्टर यहां पर उपस्थित होता तो शायद इस तरह की परिस्थितियों निर्मित नहीं होती।
ट्रक को ले लेते हैं कब्जे में
सूत्रों ने बताया कि माइंस से कोयला डिस्पैच होने के बाद कांटा घर में पहुंचता है और वहां उसका वजन होता है। अगली प्रक्रिया में इसे कॉल स्टॉक में भेज दिया जाता है। सूत्रों ने दावा किया कि यहां पहुंचने के साथ झंझट शुरू हो जाती है और लिफ्टर अच्छा कोयला लेने के लिए संघर्ष शुरू कर देते हैं। यहां तक की कई मौके पर वे ट्रक को अपने कब्जे में ले लेते हैं। ऐसे में दूसरा पक्ष मायूस हो जाता है और फिर विपरीत स्थिति पैदा हो जाती है