रामानुजगंज। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के न्यायालय में सत्र न्यायाधीश के द्वारा प्रेम प्रसंग के चलते में प्रेमी के द्वारा प्रेमिका को हथौड़ी से सिर में मार मार कर हत्या के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिले के कुसमी थाना अंतर्गत आरोपी मनोज उर्फ इसहाक खाखा के विरुद्ध आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया था। मामला जिला एवं सत्र न्यायाधीश में विचाराधीन था मामले में विद्वान न्यायाधीश हेमंत शर्राफ के द्वारा दोनों पक्षों की दलिल सुनने के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के के तहत आजीवन कारावास एवं ?500 अर्थ दंड की सजा सुनाई। इस प्रकार हुआ था घटना….. मृतिका सरिता एक्का बेल स्टार माइक्रोफाइनेंस लिमिटेड कार्यालय कुसमी ब्रांच अकाउंटेंट के पद पर पदस्थ थी। घटना के दिनांक 10. 8. 2022 को अपने कार्यालय में वह बैठी थी इसी दौरान उसके प्रेमी आरोपी मनोज उर्फ इसहाक खाखा आया एवं हथौड़ी से ताबड़तोड़ उसके सिर पर वार कर दिया जिससे वह लहू लुहान हो गई इलाज के लिए उसे उसमें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुसमी के बाद मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर एवं वहां भी स्थिति नहीं संभलने की स्थिति में रायपुर रिफर किया गया जहां इलाज के दौरान 17.8.2022 को उसकी मृत्यु हो गई। आरोपी मनोज सरिता से प्यार करता था वह उसके घर में आना-जाना करता था परंतु आरोपी पहले से शादीशुदा था जिस कारण 9 अगस्त 2022 को उसे आने-जाने से घर वालों ने मना किया जिससे वह काफी गुस्से में था जिसके बाद वह घटना को अंजाम दिया। मामले में कुसमी थाना में धारा 452,307 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया था सरिता की इलाज एवं मृत्यु के बाद 302 के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया मामले में जिला एवं सत्र न्यायालय में सत्र न्यायाधीश हेमंत सर्राफ के द्वारा दोनों पक्षों की दलील सुनते हुए आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई अभियोजन पक्ष की ओर से विद्वान लोग अभियोजक अशोक गुप्ता के द्वारा पैरवी की गई। सत्र न्यायाधीश के द्वारा प्रकरण में सीसीटीवी फुटेज की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट को अभियोजन के द्वारा प्रकरण के अंतिम विचारण तक प्रस्तुत नहीं किया गया जो कि प्रकरण की विवेचना अधिकारी के धारा 302 भारतीय दंड संहिता हत्या जैसे गंभीर अपराध के संबंध में घोर लापरवाही को दर्शाता है। उसके द्वारा उक्त फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के संबंध में क्या प्रयास किया गया यह न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है। तथा हत्या जैसे गंभीर अपराध के प्रकरण में घोर लापरवाही के लिए विवेचना अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा की गई। विवेचना अधिकारी सुनील केरकेट्टा एवं रमेश मरकाम थे।