जांजगीर चांपा। नगर एवं क्षेत्र में सूर्य आराधना के महापर्व सूर्यषष्ठी के तीसरे दिन सोमवार 27 अक्टूबर को लछनपुर स्थित छठघाट के अलावा डोंगाघाट एवं रामबांधा तालाब सहित अनेक स्थानों पर छठव्रतियों ने शाम करीब 5.15 बजे अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अघ्र्य दिया। मंगलवार 28 अक्टूबर को सुबह छठव्रतियों द्वारा उदित होते सूर्य को अंतिम अघ्र्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हुआ।
नगर एवं क्षेत्र में वर्ष 2009 से छठ महापर्व मनाया जाना शुरु किया गया। भोजपुरी समाज की जिला इकाई के तत्वाधान में प्रारम्भ हुआ छठ महापर्व आज सभी समाज की महिलाओं द्वारा धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस वर्ष छठ महापर्व की शुरुआत शनिवार 25 अक्टूबर से नहाय खाय से हुई। चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन छठव्रतियों द्वारा खरना का व्रत रखा गया। छठ महापर्व विशेष रुप से उत्तरप्रदेश एवं बिहार के पूर्वांचलवासियों यानि भोजपुरी समाज द्वारा प्रमुख रुप से मनाया जाता है। इस चार दिवसीय पर्व का समाज द्वारा शुद्धता से पालन किया जाता है। विशेष रुप से इस समाज की महिलाओं द्वारा बिना अन्न जल ग्रहण किये व्रत रखा जाता है। चार दिवसीय महापर्व के तीसरे दिन सोमवार 27 अक्टूबर को शाम करीब 5.15 बजे छठव्रतियों ने ड़ोंगाघाट सहित लछनपुर स्थित छठघाट के अलावा रामबांधा तालाब पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अघ्र्य दिया। मंगलवार 28 अक्टूबर को सुबह इन्हीं स्थानों पर छठव्रती उदित होते सूर्य को अंतिम अघ्र्य दिया। जिसके साथ चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन किया। भोजपुरी समाज की जिला इकाई के संस्थापक जिलाध्यक्ष सत्येन्द्र सिंह के अलावा जिलाध्यक्ष सुशील सिंह सहित भोजपुरी समाज के लोग विशेष रुप से महिलाएं बड़ी संख्या में अस्तचलगामी सूर्य को अघ्र्य देने छठ घाट व डोंगाघाट में मौजूद थीं।

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