इंद्र का अहंकार तोडऩे की गोवर्धन पूजा:कृष्ण शास्त्री

कोरबा। वृंदावन के भागवत किंकर पंडित कृष्ण शास्त्री भागवत कथा के अंतर्गत गोवर्धन पूजा प्रसंग को नई दृष्टि से प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि इंद्र को अपनी शक्ति पर काफी अहंकार हो गया था और इसी को तोडऩे के लिए गोवर्धन पूजा की गई।
आरएसएस नगर स्थित कपिलेश्वरनाथ महादेव मंदिर परिसर में महिला मंडल की ओर से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन 25 वे वर्ष में किया गया है। कृष्ण शास्त्री इसमें कथा वाचन करने के लिए पहुंचे हैं। उन्होंने कथा के अंतर्गत गोवर्धन पूजा के प्रसंग पर बात रखी। बताया गया कि गोवर्धन पर्वत के प्रति ब्रज मंडल के लोगों की आस्था को बाधित करने के लिए इंद्र ने जमकर वृष्टि कराई। इससे हाहाकार की स्थिति उत्पन्न हो गई। इधर को ऐसा लग रहा था कि इस प्रकार के हालात बनने से लोग याचना करेंगे और इंद्र की पूजा पाठ फिर से शुरू कर देंगे। परमवतार श्री कृष्ण ने अपनी उंगली से गोवर्धन पर्वत को उठाकर उसकी छत्रछाया लोगों को दी। आखिरकार वर्षा बंद करनी पड़ी और इसके बाद लोगों ने गोवर्धन की पूजा कर प्रकृति को महत्व दिया। इस प्रकार की घटनाएं बताती है कि व्यक्ति का अहंकार बहुत दिनों तक नहीं टिक सकता और उसे एक दिन वास्तविक स्थिति को समझना हीं होता है। कथा प्रसंग के अंतर्गत भगवान की और भी लीलाओं के बारे में जानकारी दी गई जिस पर महिलाओं के द्वारा आकर्षक नृत्य प्रस्तुति की गई। महिला मंडल की ओर से बताया गया की 7 दिन तक यह आयोजन चलेगा और अंतिम दिवस हवन पूजन के पश्चात भंडारा किया जाएगा। कोरबा नगर क्षेत्र के सभी सनातनी प्रेमियों से आग्रह किया गया है कि वह इस भागवत कथा में उपस्थिति दर्ज कराकर पूण्य अर्जित करें।

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