
कोरिया बैकुंठपुर। जिला मुख्यालय बैकुंठपुर के शासकीय आदर्श कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैकुंठपुर में जिले के शिक्षा अधिकारी जितेन्द्र गुप्ता के मार्गदर्शन एवं संस्था के प्राचार्य अमृत लाल गुप्ता के दिशा-निर्देशन में रजत जयंती वर्षगांठ के अवसर पर भव्य एलुमनी बैठक का आयोजन किया गया। यह आयोजन विद्यालय के प्रांगण में हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ, जिसमें विद्यालय की पूर्व एवं वर्तमान छात्राएँ, शिक्षकगण तथा विद्यालय से जुड़े सभी लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मंच पर पूर्व छात्राओं ने अपने विद्यालयीन जीवन के सुनहरे अनुभव साझा किए। उन्होंने विद्यालय की उपलब्धियों, संसाधनों एवं विकास कार्यों पर चर्चा करते हुए शिक्षकों के योगदान को हृदय से स्मरण किया। कई छात्राओं ने बताया कि इस विद्यालय में मिली शिक्षा और संस्कारों ने उन्हें जीवन में ऊँचाइयाँ छूने का अवसर प्रदान किया। बैठक की शुरुआत अतिथियों के स्वागत एवं दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद मंच पर उपस्थित सभी पूर्व छात्राओं ने एक-दूसरे से भेंट कर अपने पुराने दिनों को याद किया। विद्यालय की भूतपूर्व छात्रा श्रीमती चम्पा सिन्हा ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह विद्यालय मेरे जीवन का सबसे बड़ा आधार है। यहाँ से मिली शिक्षा और संस्कारों ने ही मुझे समाज में सम्मान दिलाया है। उन्होंने छात्राओं को अनुशासन और निरंतर मेहनत से पढ़ाई करने की प्रेरणा दी। इसी क्रम में पूर्व छात्रा श्रीमती लता सिंह ने बताया कि विद्यालय की शिक्षा पद्धति ने उन्हें प्रशासनिक सेवा में आने का अवसर प्रदान किया। उन्होंने गर्व से कहा कि आज मैं जो भी हूँ, उसमें मेरे इस विद्यालय और शिक्षकों का अहम योगदान है। उन्होंने वर्तमान छात्राओं को विश्वास दिलाया कि यदि लगन और मेहनत से पढ़ाई की जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। बैठक में पूर्व छात्रा श्रीमती पुष्पा सिंह ने विद्यालय के विकास और उपलब्धियों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि विद्यालय केवल पढ़ाई का ही केंद्र नहीं है बल्कि यह वह स्थान है, जहाँ खेल-कूद, सांस्कृतिक गतिविधियों और अन्य सह-पाठ्यक्रम कार्यक्रमों के माध्यम से छात्राओं का सर्वांगीण विकास होता है। उन्होंने छात्राओं को शिक्षा के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी भाग लेने का आग्रह किया। इसी तरह पूर्व छात्रा श्रीमती कानन जायसवाल ने छात्राओं से कहा कि विद्यालय का प्रत्येक शिक्षक उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने स्मरण किया कि कैसे शिक्षकों की मेहनत और मार्गदर्शन से उन्होंने जीवन की कठिन राहों को आसान बनाया। बैठक के दौरान पूर्व छात्राओं ने विद्यालयीन अनुशासन की भी जमकर सराहना की। श्रीमती अनुपूर्णा शर्मा एवं श्रीमती मिमांसा जायसवाल ने कहा कि अनुशासन के बिना कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता। विद्यालय ने हमें अनुशासन, आदर और संस्कार का जो पाठ पढ़ाया, वही जीवनभर काम आया। पूर्व छात्राओं ने छात्राओं को अपने शिक्षकों एवं अभिभावकों का सम्मान करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए पढ़ाई के साथ-साथ सद्विचार, ईमानदारी और मेहनत का होना भी आवश्यक है। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य अमृत लाल गुप्ता ने सभी पूर्व छात्राओं का स्वागत करते हुए कहा कि हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि इस विद्यालय से पढ़ी हुई छात्राएँ आज विभिन्न क्षेत्रों में अपना नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने छात्राओं को भरोसा दिलाया कि विद्यालय की व्यवस्थाओं और संसाधनों को और बेहतर बनाने का प्रयास निरंतर जारी रहेगा। बैठक में वर्तमान छात्राओं ने भी अपने विचार रखे। बारहवीं कक्षा की छात्राएँ कु. सारिता राजवाल, कु. दीपशिखा राजवाल, कु. सायोगिता ठाकुर एवं कु. अनुराधा जायसवाल ने पूर्व छात्राओं से प्रेरणा लेते हुए कहा कि हम अपने गुरुओं और वरिष्ठों के पदचिह्नों पर चलकर विद्यालय का नाम रोशन करेंगे। छात्राओं ने विद्यालय के अनुशासन, शैक्षणिक गतिविधियों एवं शिक्षकों के सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि विद्यालय द्वारा दिए गए संस्कार और शिक्षा हमें जीवन में आगे बढऩे की ताकत देते हैं। बैठक में विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं की भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला गया। पूर्व छात्राओं ने शिक्षिकाओं सुश्री सुग्री साहिलता अंजुम अली, श्रीमती अनुपूर्णा शर्मा, श्रीमती मिमांसा जायसवाल आदि के योगदान की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आज जो भी उपलब्धियाँ हमें मिली हैं, वह हमारे शिक्षकों की निस्वार्थ मेहनत का परिणाम है। बैठक का संचालन विद्यालय की शिक्षिका सुग्री साहिलता अंजुम अली ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन श्रीमती अनुपूर्णा शर्मा ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर विद्यालय परिवार के अन्य सदस्य— विपिन कुमार मिश्र, श्रीमती स्मिता मिश्र, श्रीमती अंजलि चतुर्वेदी आदि उपस्थित रहे। समापन सत्र में सभी उपस्थित लोगों ने एकमत होकर यह संकल्प लिया कि विद्यालय की उन्नति और गौरव को बनाए रखने के लिए सभी मिलकर निरंतर प्रयास करते रहेंगे। निश्चित ही यह एलुमनी बैठक विद्यालय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुई। इसने न केवल छात्राओं को अपने अतीत से जोडऩे का कार्य किया, बल्कि वर्तमान छात्राओं को भी प्रेरणा दी कि वे शिक्षा, संस्कार और मेहनत के बल पर अपने भविष्य का निर्माण करें।