चांपा। चांपा-कोरबा मार्ग पर 500 मीटर की सडक़ दो साल से अधूरी है। यह सडक़ ब्रिज से लगभग 200 मीटर की दूरी पर है। बरसात में यह कीचड़ में बदल जाती है और गर्मी में धूल उड़ती है।
राहगीर, स्कूली बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और वाहन चालक रोजाना परेशान होते हैं। अधूरी सडक़ के कारण दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। दोपहिया वाहन फिसलते हैं और चार पहिया वाहन कीचड़ में फंस जाते हैं। बीते कुछ महीनों में कई लोग घायल हो चुके हैं, जिनमें कई स्कूली छात्र भी शामिल हैं। क्षेत्रीय विधायक ब्यास कश्यप इस मुद्दे पर आंदोलन कर चुके हैं। उन्होंने चक्का जाम और धरना किया। विभाग ने केवल मरम्मत का आश्वासन दिया। कुछ स्थानों पर सतही मरम्मत कर दी गई। सामाजिक संगठन, व्यापारी और नागरिक मंच भी कई बार विरोध कर चुके हैं। लेकिन कोरबा पीडब्ल्यूडी विभाग की उदासीनता बनी हुई है। यह सडक़ अब विकास में बाधा बन चुकी है। विभाग केवल गड्ढे भरने तक सीमित है। स्थायी समाधान की कोई योजना नहीं है। स्थानीय लोग नाराज हैं। राहुल वर्मा रोज इसी रास्ते से बच्चों को स्कूल छोड़ते हैं। उन्होंने बताया, बरसात में स्कूटर फिसलता है। बच्चे गिर चुके हैं। विभाग केवल दिखावा करता है।
लोगों ने आंदोलन किया फिर भी नहीं बनी सडक़ बुजुर्ग सरला देवी ने कहा कि विधायक ब्यास कश्यप ने आंदोलन किया। संगठन भी उतरे। सरकार का ध्यान नहीं है। क्या जनता की जान की कोई कीमत नहीं।
राज्य सरकार और विभाग विकास के दावे करते हैं, लेकिन 500 मीटर की सडक़ दो साल में नहीं बन पाई। इससे हकीकत सामने आ जाती है। अब सवाल है कि यह सडक़ कब बनेगी। क्या किसी बड़े हादसे के बाद ही प्रशासन जागेगा। क्या जनता को बुनियादी सुविधा के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा।