
जांजगीर। कृषि के क्षेत्र में नवाचार और सतत विकास की दिशा में जांजगीर जिले में पैरा मशरूम(धान का पुआल मशरूम) की खेती तेजी से लोकप्रिय हो रही है। जिले की जलवायु गर्म और आद्र होने के कारण पैरा मशरूम की खेती के लिए अत्यंत अनुकूल मानी जा रही है। यह न केवल किसानों, बल्कि ग्रामीण महिलाओं, बेरोजगार युवाओं, खेतिहर मजदूरों और भूमिहीन किसानों के लिए भी आय का एक सशक्त और स्थायी विकल्प बनकर उभर रहा है। भारत में इस मशरूम को पैरा मशरूम के नाम से जाना जाता है और यह विश्वभर में तीसरे सबसे अधिक खपत किए जाने वाले खाद्य मशरूम में शामिल है। यह न केवल स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है, बल्कि इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा भी पाई जाती है, जो इसे स्वास्थ्य की दृष्टि से भी उपयोगी बनाती है। पैरा मशरूम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 18 जुलाई को कृषि विज्ञान केंद्र, जांजगीर-चांपा में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का आयोजन केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. राजीव दीक्षित के मार्गदर्शन और पौध रोग वैज्ञानिक डॉ. आशीष प्रधान के नेतृत्व में किया गया। इस प्रशिक्षण में सक्ती जिले से 9 और जांजगीर जिले से 17 किसानों ने भाग लिया। सभी किसानों ने इसे आय के एक वैकल्पिक और व्यावसायिक साधन के रूप में अपनाने का संकल्प लिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केंद्र के अन्य कृषि वैज्ञानिक शशिकांत सूर्यवंशी, रंजीत मोदी व इंजीनियर डॉ. आशुलता ध्रुव की भी सक्रिय भागीदारी रही, जिन्होंने तकनीकी जानकारियों के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफल बनाया।