
नईदिल्ली, 0३ सितम्बर।
एयरपोर्ट इकोनॉमी रेगूलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एयर पोर्ट पर यात्रियों को मिलने वाली सुविधाओं के आधार पर पुरस्कृत करने की योजना बनाई है। साथ ही कमियों के लिए जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इमने में बाथरूम की सफाई, सामान मिलने में देरी, चेक-इन, इमिग्रेशन आदि शामिल हैं।भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण ने यात्रियों से वसूले जाने वाले यूजर डेवलपमेंट फीस को प्रमुख हवाई अड्डों पर दी जाने वाली सेवा की गुणवत्ता से जोडऩे का प्रस्ताव दिया है। पिछले महीने जारी एक मसौदा परामर्श पत्र में, ्रश्वक्र्र ने बताया है कि खराब प्रदर्शन के परिणामस्वरूप वित्तीय जुर्माना लग सकता है, जबकि लगातार उच्च सेवा मानकों के कारण प्रोत्साहन मिल सकता है।नियामक का तर्क है कि चूंकि हवाई अड्डे प्राकृतिक एकाधिकार के रूप में संचालित होते हैं, यात्रियों के पास किसी शहर के लिए हवाई अड्डे का उपयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता, इसलिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि उपयोगकर्ता शुल्क न केवल बुनियादी ढांचे की लागत, बल्कि सेवा वितरण को भी दर्शाए। इसलिए, ्रश्वक्र्र ने चेक-इन, सुरक्षा और इमिग्रेशन काउंटरों पर वेटिंग टाइम, टॉयलेट की सफाई, सामान प्रबंधन की दक्षता और ट्रॉलियों, व्हीलचेयर और साइनेज जैसी यात्री सुविधाओं की उपलब्धता जैसे क्षेत्रों को शामिल करते हुए प्रदर्शन मानकों का एक समान सेट प्रस्तावित किया है। प्रस्तावित प्रणाली के तहत, मानकों को पूरा करने में विफल रहने वाले हवाई अड्डों को यूडीएफ में कमी के रूप में परिणाम भुगतने होंगे। दूसरी ओर, लक्ष्यों से अधिक प्रदर्शन करने पर ऑपरेटरों को प्रोत्साहन मिल सकता है, जिससे निरंतर सुधार को प्रोत्साहन मिलेगा। ्रश्वक्र्र ने हवाईअड्डा संचालकों पर सेल्फ परफॉर्मेंस रिपोर्ट करने के बजाय थर्ड पार्टी ऑडिट की सिफारिश की है। ऑडिट में तकनीक-संचालित निगरानी, जैसे कि ऑटोमेटिक क्यू टाइम ट्रैकिंग और डिजी यात्रा के जरिए से बायोमेट्रिक एंट्री को विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए मैन्युअल जांच के साथ जोड़ा जाएगा।