
अनुभव प्रमाण पत्र पर आपत्ति, कलेक्टर से शिकायत
कोरबा। सरकारी क्षेत्र में ठेकेदारों को काम देने के लिए नियम और शर्ते केवल औपचारिक होती हैं। अधिकारी अपने हिसाब से उनका उपयोग करते हैं। नगर निगम कोरबा ने अपने नए सभागार में कई प्रकार के काम देने के लिए कुछ समय पहले 160.67 लाख लागत की निविदा निकाली। कई नियमों के चक्कर में विवाद हुआ और इसे रद्द करना पड़ा। निगम ने एक बार फि निविदा निकाली है जो 12 मार्च को खोली जाएगी। खासबात यह है कि चहेते ठेेकेदार को काम देने और दूसरों को रोकने के लिए कई क्लास डाल दी गई है। पिछले दिनों इसी टेंडर को लेकर तरूण छत्तीसगढ़ ने समाचार प्रकाशित किया था और व्यवस्था पर सवाल उठाये थे, जिस पर मजबूरी में निविदा निरस्त करनी पड़ी। यह निविदा अत्याधुनिक सभागार में फर्नीचर कार्य, पब्लिक एड्रेस, वीडियो कॉन्फ्रेंसीगं और साउंड विस्तार से संबंधित हैं। जिला खनिज न्यास से इसे संपन्न कराना है। 6 महीने में काम को पूरा कराने की सीमा तय की गई है। निविदा में क्वालीफाई होने के लिए यह शर्त जोड़ी गई कि निविदाकार द्वारा समान प्रवृत्ति के कार्य का एनआई टी दिनांक के पहले इस कार्य की लागत राशि की न्यूनतम 50 प्रतिशत के बराबर कम से कम एक समान प्रवृत्ति के कार्य पूर्ण किये जाने का अनुभव होना आवश्यक है। अनुभव प्रमाण पत्र कार्यपालन अभियंता द्वारा जारी किया जाना है। इसके अलावा और भी कई शर्ते इसमें जोड़ी गई है ताकि प्रतिस्पर्धा को रोका जा सके। एक कॉन्ट्रेक्टर के द्वारा कलेक्टर से शिकायत की गई और कहा गया कि डीएमएफ की निविदा की निर्धारित शर्तों पर संशोधन किया जाना चाहिए। कहा गया कि वह लोक निर्माण विभाग पंजीकृत ए क्लास ठेकेदार हैं और विगत कई वर्षों से भवन निर्माण, सडक़ निर्माण जैसी कई परियोजनाओं को पूरा कर चुका है। डीएमएफ मद के अंतर्गत भी विभिन्न कार्यो का सफल उत्पादन किया गया है। लेकिन निगम की इस निविदा में लगाए गए अनुभव आधारित प्रतिबंध के कारण वही नहीं बल्कि अन्य योग्य ठेकेदार इस प्रक्रिया में भाग लेने से वंचित रह जाएंगे। ऐसा होने से जिले के डीएमएफ मद के प्रभावी उपयोग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कलेक्टर से मांग की गई कि नगर निगम की निविदा की शर्तों में संशोधन कर अनावश्यक रूप से लादे गए अनुभव आधारित प्रतिबंध को हटाने की व्यवस्था की जाए।