
संयुक्त राष्ट्र २० मई ।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को बेनकाब करने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में देश के एक डेलिगेशन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पैनल से मुलाकात की है। सूत्रों की मानें तो भारतीय डेलिगेशन ने आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट के खिलाफ कुछ सबूत पेश किए हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का यह पैनल आतंकी संगठनों पर सैंक्शन लगाने का काम करता है। वहीं, ञ्जक्रस्न ने पहलगाम आतंकी हमले को अंजाम दिया था। हमले के बाद ञ्जक्रस्न ने इसकी जिम्मेदारी ली, लेकिन युद्ध के हालात बनने के बाद ञ्जक्रस्न अपनी बात से मुकर गया था। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के इस पैनल की बात करें तो इसे 1267 कमेटी भी कहा जाता है। यह पैनल पहले भी कई आतंकी संगठनों को बैन कर चुका है। इस लिस्ट में लश्कर-ए-तैयबा और अल कायदा समेत कई आतंकी संगठनों का नाम शामिल है। साथ ही यह पैनल अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची भी तैयार करता है। भारतीय डेलिगेशन ने पैनल के सामने ञ्जक्रस्न से जुड़े कुछ डॉक्यूमेंट्री एविडेंस रखे हैं, जिससे साबित होता है कि ञ्जक्रस्न लश्कर-ए-तैयबा का ही हिस्सा है। 1267 कमेटी ने 2005 में लश्कर-ए-तैयबा को आतंकी संगठन घोषित करते हुए पसबा-ए-कश्मीर और जमात-उद-दावा समेत तीन संगठनों पर सैंक्शन लगाए थे। यूएन के सैंक्शन से बचने के लिए लश्कर-ए-तैयबा कई बार अपना नाम बदल चुकी है।
यूएन की लिस्ट में लश्कर-ए-तैयबा के 27 नाम शामिल हैं, जिनपर प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, लश्कर-ए-तैयबा के एक दर्जन से भी ज्यादा सदस्यों को आतंकी घोषित किया जा चुका है। इस फेहरिस्त में लश्कर-ए-तैयबा के लीडर हाफिज मोहम्मद सईद भी मौजूद है। सूत्रों की मानें तो भारत पहले ही संयुक्त राष्ट्र में ञ्जक्रस्न को लश्कर-ए-तैयबा का हिस्सा बता चुका है। वहीं, सोमवार को भारतीय डेलिगेशन ने डॉक्यूमेंट्री के रूप में इसका सबूत भी पेश किया है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र ञ्जक्रस्न को भी आतंकी संगठन घोषित करेगा या नहीं। इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।