नईदिल्ली, १५ जून ।
संयुक्त राष्ट्र महासभा में गाजा पर इजरायल के हमले के निंदा प्रस्ताव से अलग रहने के बाद भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की तरफ से ईरान पर इजरायल के हमले को लेकर जारी निंदा प्रस्ताव से अभी अपने आपको अलग कर लिया है। ईरान और इजरायल के बीच गहराते सैन्य संघर्ष के बीच भारत ने यह संकेत दे दिया है कि आपरेशन सिंदूर में उसे खुलकर मदद करने वाले इजरायल के खिलाफ वह नहीं जाएगा। हालांकि भारत ईरान के साथ संपर्क में है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अर्गची से बात की है। भारत ने दोनों देशों को तनाव खत्म करने के लिए जल्द से जल्द कूटनीतिक वार्ता करने की अपील की है। शनिवार को विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि ईरान और इजरायल की स्थिति पर भारत ने अपना रुख 13 जून को ही साफ कर दिया था। इसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हम सभी को वार्ता और कूटनीति की राह अपना कर तनाव दूर करने की अपील करते हैं। ईरान के विदेश मंत्री के साथ वार्ता में भी विदेश मंत्री ने यह बात कही है और अंतराष्ट्रीय बिरादरी की चिंताओं से उन्हें अवगत कराया है। जयशंकर ने मामले को गंभीर बनाने वाले कदम उठाने से बचने और शीघ्रता से कूटनीति की राह अपनाने की अपील की है। एससीओ सदस्यों को भी भारत के इस रुख के बारे में बता दिया गया है। भारत के इस बयान से पहले एससीओ की तरफ से जारी एक प्रस्ताव में कहा गया है कि संगठन मध्य पूर्व की स्थिति के खराब होने और ईरान की जमीन पर इजरायल की तरफ से किए जाने वाले हमले की कड़ी निंदा करता है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएन चार्टर के खिलाफ है। यह ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन है जो क्षेत्रीय व अंतरारष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाता है और वैश्विक शांति व स्थिरता के लिए खतरा पैदा करता है।
एससीओ ईरान के लोगों और सरकार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता है। ईरान 2023 में ही एससीओ का सदस्य बना है, जिसमें भारत, पाकिस्तान, रूस, चीन व मध्य एशिया के कुल दस देश सदस्य हैं।इसके पहले गुरुवार को जब यूएनजीए में गाजा में इजरायल के हमले की निंदा करते हुए वहां शांति स्थापित करने के लिए प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही थी तो भारत उसमें अनुपस्थित रहा था। इसी तरह के एक प्रस्ताव के समर्थन में भारत ने छह महीने पहले वोट किया था। कई जानकार इसे फलस्तीन-इजरायल विवाद पर भारत के पारंपरिक रुख से अलग होने के तौर पर देख रहे हैं। गुरुवार को हुई वोटिंग में सिर्फ 19 देश अनुपस्थित रहे थे, जिसमें भारत, डोमिनिका, इक्वाडोर, अल्बानिया, मलावी जैसे छोटे- छोटे देशों के साथ शामिल है।इसके खिलाफ अमेरिका, इजरायल जैसे दस देशों ने वोट किया। यह भी उल्लेखनीय है कि दक्षिण एशिया, एससीओ या ब्रिक्स से अनुपस्थित रहने वाला एकमात्र देश भारत है।