नईदिल्ली, 0८ जुलाई ।
पूरी दुनिया इस समय भीषण गर्मी की चपेट में है। जून 2025 का महीना 12 देशों के लिए अब तक का सबसे गर्म महीना रहा, जबकि 26 अन्य देशों में भी रिकॉर्ड स्तर की गर्मी दर्ज की गई। यूरोप, एशिया और अफ्रीका के लगभग 790 मिलियन लोग इस खतरनाक गर्मी से प्रभावित हुए। यूरोपीय जलवायु मॉनिटर ‘कोपर्निकस’ के आंकड़ों के अनुसार, यह बढ़ती गर्मी जलवायु परिवर्तन का सीधा संकेत है। पश्चिमी और दक्षिणी यूरोप में जून के अंत में पड़ी लू ने बेल्जियम, फ्रांस और नीदरलैंड जैसे देशों को बुरी तरह झुलसा दिया। स्विट्जरलैंड, इटली और सभी बाल्कन देशों में तापमान जून के औसत से 3 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया।
जापान में 1898 से रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से सबसे गर्म जून रहा। 14 शहरों में रिकॉर्ड तोड़ तापमान दर्ज हुआ। समुद्री तापमान भी सामान्य से 1.2 डिग्री ज्यादा रहा।दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया दोनों में औसत से 2 डिग्री ज्यादा तापमान दर्ज हुआ।
चीन में 102 मौसम केंद्रों ने अपने-अपने क्षेत्रों का सबसे गर्म जून दर्ज किया। कई जगह 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान गया।
पाकिस्तान और ताजिकिस्तान में जून का महीना इतिहास का सबसे गर्म रहा। अफगानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान में अप्रैल से जून के बीच सबसे गर्म वसंत दर्ज हुआ। नाइजीरिया, दक्षिण सूडान, कांगो और इथियोपिया में भीषण गर्मी दर्ज की गई। दक्षिण सूडान में 2.1 डिग्री की असामान्य बढ़त दर्ज हुई। गर्मी के कारण छात्रों के बेहोश होने पर स्कूल बंद कर दिए गए। संयुक्त राष्ट्र की विश्व मौसम विज्ञान संस्था ने चेताया कि जलवायु परिवर्तन से अफ्रीका में भूख, सुरक्षा और विस्थापन की समस्याएं और गहरी हो रही हैं।