रतलाम। केसीसी लोन स्वीकृत करने के लिए दस हजार रुपये की रिश्वत लेने के मामले में न्यायालय ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की आलोट शाखा के तत्कालीन शाखा प्रबंधक (बैंक मैनेजर) 60 वर्षीय मांगीलाल चौहान पुत्र बलदेव चौहान निवासी यश नगर, इंदिरा कालोनी मंदसौर को दोषी पाया। भष्टाचार निवारण अधिनियम विशेष न्यायालय ने उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 में चार वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई। उस पर दो हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। सजा सुनाने के बाद उसे जेल भेज दिया गया। फैसला शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश आदित्य रावत ने सुनाया। जिला अभियोजन अधिकारी गोविंद प्रसाद घाटिया व अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी विजयकुमार पारस ने बताया कि 9 मार्च 2022 को शिकायतकर्ता बालूसिंह रेवाड़िया पुत्र रामचन्द्र रेवाडिया ने लोकायुक्त एसपी कार्यालय उज्जैन में लिखित शिकायत की थी कि उनके तथा पत्नी शारदाबाई के नाम आठ बीघा जमीन है। उक्त जमीन पर उन्होंने सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की आलोट शाखा से 2.72 लाख रुपये का केसीसी लोन स्वीकृत कराया था। स्वीकृत लोन के रूपए निकालने जब वे बैंग गए थे तो तत्कलीन बैंक मैनेजर मांगीलाल चौहान ने उन्हें बुलाकर कहा कि तुम्हारा लोन स्वीकृत कर दिया है तथा उन्होंने लोन स्वीकृत करने के एवज में 15 हजार रुपये रिश्वत के मांगे थे।