सक्ती। अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से सक्ती रियासत के राजा रहे एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह का मंगलवार को निधन हो गया। उन्होंने सक्ती स्थित हरि गुजर महल में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और महल में ही रहकर इलाज करवा रहे थे।

0 18 साल की उम्र में संभाली थी सक्ती रियासत की सत्ता
छह दशक पहले नगर के लोगों ने सक्ती रियासत के नए राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह का राज्याभिषेक देखा था। तब राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह महज 18 साल के थे। इसके बाद पीढियां बदलती गई है। 1865 में 14 रियासतों का गठन हुआ था। उस समय सक्ती छोटी रियासत थी। उस समय बड़ी रियासत बस्तर थी।
सक्ती रियासत के सबसे पहले राजा हरि गुजर हुए। इनके पुत्र रुपनारायण सिंह ने गद्दी 1914 में निधन होते तक सम्हाली। राजा रूपनारायण की एकमात्र बेटी थी। कोई बेटा नहीं था। उनकी बेटी की शादी रायगढ़ के राजा नटवर सिंह के साथ हुई थी। उन्होंने छोटे भाई चित्रभान के बेटे लीलाधर सिंह को गोद लिया था। 1914 में ही राजा लीलाधर राजा बन गए थे।
जिवेंद्र बहादुर सिंह का अल्पायु में ही निधन हो जाने के कारण 18 वर्ष की उम्र में 1960 में सुरेंद्र बहादुर सिंह राजा बनें और विरासत को अभी तक 83 वर्ष की आयु तक सम्हाल रहे थे। उनके छोटे भाई कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह का कुछ वर्ष पूर्व निधन हो गया है।राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह ने सन 1977 में देश मे लगे आपातकाल के बावजूद सक्ति विधानसभा से विधायक के रूप मे जीत दर्ज की थी। राजा सुरेंद्र बहादुर की भी कोई संतान नहीं होने से उन्होंने धर्मेंद्र को दत्तक पुत्र बनाया था।
पूरे भारत की राजनीति में देखा जाए तो किसी राज परिवार ने निरंतर 5 दशकों (50 वर्षों) तक सक्रिय राजनीति में अपना प्रतिनिधित्व रखा है, तो उसमें सक्ती रियासत अग्रणी है, जिसके सदस्य निरंतर सन 1952 से पांच दशकों तक सक्ति विधानसभा क्षेत्र में विधायक के रूप में सत्तासीन रहे । इस दौरान सक्ती रियासत के सन् 1952 से राजा लीलाधर सिंह, राजमाता टंक राजेश्वरी सिंह, कुमार पुष्पेंद्र बहादुर सिंह, इंदुमती एवं राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह भी चार बार विधायक एवम मंत्री रहे एवं इस रियासत ने अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से ही कांग्रेस की राजनीति में अपना गहरा प्रभाव छोड़ा है। आज भी इनके समर्थक विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में देखे जाते हैं, तथा लोगों की आस्था आज भी सक्ति रियासत के प्रति अटूट बनी हुई है। सक्ती विधानसभा क्षेत्र सामान्य सीट होने के बावजूद एक राजगोंड आदिवासी परिवार से पांच दशकों तक विधानसभा का विधायक बने रहना राजनीतिक मायने में काफी अहम रखता है।

0 पूरे प्रदेश में शोक की लहर
राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के निधन की खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है। वे न केवल मध्यप्रदेश की दिग्गज राजनीति का हिस्सा रहे, बल्कि शक्ति रियासत के राजा के रूप में भी अत्यंत लोकप्रिय थे। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता के रूप में भी उन्होंने लंबे समय तक सक्रिय भूमिका निभाई।उनकी पहचान एक प्रभावशाली और दृढ़ नेता के रूप में थी। शक्ति क्षेत्र में उन्होंने विभिन्न धार्मिक एवं शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और संचालन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। स्थानीय जनता ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।