
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में बहुचर्चित स्मार्ट सिटी ठगी कांड में फंसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करीबी के.के. श्रीवास्तव की 12 दिन की पुलिस रिमांड पूरी होने के बाद सोमवार को उन्हें न्यायालय में पेश किया गया। तेलीबांधा थाना पुलिस ने उन्हें रायपुर सीजेएम कोर्ट में प्रस्तुत किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस ने श्रीवास्तव की दोबारा रिमांड की मांग नहीं की। पुलिस का कहना है कि पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं, जिनके आधार पर आगे कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
श्रीवास्तव पर आरोप है कि उन्होंने खुद को प्रभावशाली बताते हुए दिल्ली की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी रावत एसोसिएट्स के मालिक अशोक रावत से स्मार्ट सिटी और नवा रायपुर प्रोजेक्ट में 500 करोड़ रुपये का ठेका दिलाने का झांसा देकर करीब 15 करोड़ रुपये की ठगी की। जब ठेका नहीं मिला, तो श्रीवास्तव ने पैसा लौटाने का वादा किया, लेकिन दिए गए तीनों चेक बाउंस हो गए। इसके बाद कंपनी ने कानूनी कार्रवाई शुरू की।
जांच में पुलिस ने जब के.के. श्रीवास्तव और उनके बेटे कंचन श्रीवास्तव के बैंक खातों की जांच की, तो एक और बड़ा खुलासा हुआ। दोनों के खातों में करीब 300 करोड़ रुपये का संदिग्ध लेन-देन पाया गया। यह रकम फर्जी कंपनियों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के नाम पर खोले गए खातों के जरिये इधर-उधर की गई थी। मामला अब आयकर विभाग को सौंपा गया है और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की नजर भी इस पर बनी हुई है। के.के. श्रीवास्तव की पहचान सिर्फ एक कारोबारी या सामाजिक व्यक्ति के रूप में नहीं रही है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस सरकार के दौरान उनकी गहरी पैठ तंत्र-मंत्र और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से थी। जानकारी के अनुसार, उस समय के कई बड़े नेता बिलासपुर स्थित श्रीवास्तव के स्थान पर जाकर तांत्रिक क्रियाओं में भाग लिया करते थे। इतने बड़े लेन-देन और ठगी के आरोपों के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आने वाले दिनों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग की तरफ से इस मामले में कोई बड़ी कार्रवाई देखने को मिलेगी? क्या इस मामले के तार और भी रसूखदार लोगों से जुड़ सकते हैं?