
कोरबा। लंबित विभिन्न मांगों को लेकर एसईसीएल की सभी परियोजनाओं से प्रभावित भूविस्थापित ग्रामीणों के द्वारा मंगलवार को बिलासपुर मुख्यालय में जोरदार प्रदर्शन किया गया। यहां ग्रामवासियों ने अपना आक्रोश जमकर जाहिर किया और मेन गेट पर तालाबंदी कर दी। भू विस्थापितों को रोकने के लिए बेरीकेट लगाए गए थे जिनमें भी ग्रामीणों ने अपना गुस्सा उतरा। रैली निकाल कर मुख्यालय गेट पर पहुंचे ग्रामीणों ने करीब 5 घंटे तक अपना प्रदर्शन जारी रखा। इस बीच भू अर्जन के नोडल अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर आवेदन/मांगपत्र प्राप्त किया। ऊर्जाधनी भूविस्थापित किसान कल्याण समिति के अध्यक्ष सपुरन कुलदीप ने बताया कि प्रबंधन को 15 दिन का समय दिया गया है। यदि मांगों पर सकारात्मक पहल नहीं होती है तो 16 अप्रैल को सभी खदानों में व्यापक आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
ग्रामीणों की मांग केन्द्रीय सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम के तहत रोजगार और पुनर्वास प्रदान किया जाए।- हाईकोर्ट द्वारा दी गयी आदेश का पालन कर 2012 से पूर्व अर्जित भूमि के एवज में छोटे खातेदारों और अर्जन के बाद जन्म लेने वालों को रोजगार दी जाए एवं रैखिक सबंध की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए केन्द्रीय सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार (कठिनाइयों को दूर करना) आदेश, 2015 की धारा 2 के अनुसार भू-अर्जन के सभी मामलों में उक्त सभी अनुसूची के उपबंध लागू होंगे जिसका मतलब है कि कोपला धारक क्षेत्र (अर्जन एवं विकास) अधिनियम, 1957 (कोल बेअरिंग एरिया एक्ट) के तहत भी जो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया हुई है उस पर यह उपबंध लागू होंगे। अत: कोल इण्डिया पालिसी को रद्द कर केन्द्रीय पुनर्वास नीति के तहत रोजगार और पुनर्वास दी जाए । उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेश से स्पष्ट है कि 2012 से पूर्व की भूमि अर्जन और अर्जन के बाद जन्म लेने वाले को रोजगार से वंचित नही किया जा सकता है और एसईसीएल द्वारा अब तक ऐसे भूविस्थापितों को रोजगार से वंचित रखा गया है और उनके पूरी जिन्दगी को बर्बाद किया गया है अत: इस अन्यायपूर्ण नियम को शिथिल करके बिना किसी बहाना के रोजगार प्रदान किया जाए । अपनी टेंडर प्रक्रियाओं में आवश्यक बदलाव के साथ यह सुनिश्चित करे कि इसमें 80त्न तक स्थानीय भू-विस्थापितों को प्राथमिकता दी जाएगी। भूविस्थापित बेरोजगारों का कौशल उन्नयन और स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर रोजगार के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर प्रदान करना सुनिश्चित किया जाए। पुनर्वास नीति में यह बात स्पष्ट है कि विस्थापित परिवारों को प्रशिक्षित कर उनके रोजगार के लिए साधन उपलब्ध कराये जायेंगे, पर स्श्वष्टरु में इस बात का पालन नहीं किया जा रहा है जमीन अर्जन के बदले मुआवजा प्रदान करते समय कौशल उन्नयन के नाम पर एक राशि जोडकर प्रदान किया जाता है जो पर्याप्त नहीं है। प्रशिक्षण और संस्थान में रोजगार की पूर्णत: गारंटी के लिए कार्य योजना तैयार किया जाना चाहिएद्य वन भूमि व शासकीय भूमि पर आश्रित अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परंपरागत वन निवासियों के अधिकारों का संरक्षण नहीं हो रहा और अब भी वे उचित प्रतिकर से वंचित हैवन अधिकार कानून के अंतर्गत वन भूमि में निवासरत समुदाय के अधिकार निहित किए गए है जिसमे निस्तार और आजीविका का अधिकार भी शामिल है। जिन लोगों को वन अधिकार के व्यक्तिगत अधिकार पत्रक (पट्टे) मिले है उनका उचित प्रतिकर आज भी लोगों को नहीं मिला है। इसका एक कारण यह भी है कि वन अधिकार के पट्टों के अनुसार रिकॉर्ड ऑ$फ राइट्स दुरुस्त नहीं किया गया है। साथ ही जिन लोगों ने वन अधिकार कानून के तहत दावा प्रक्रिया नहीं कर पाए है उन्हें कम से कम उनके जंगल से जुड़े पारंपरिक निस्तार का प्रतिकर मिलना चाहिए क्योंकि वन आश्रित समुदाय की आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत वन संसाधनों से आता है।? एक कंपनी एक नियम के तहत एस ई सी एल के सभी क्षेत्रों में बसाहट राशि (विस्थापन लाभ), सहित सभी सुविधाएँ समान रूप से प्रदान किया जाये एस ई सी एल की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा, दीपका और कुसमुंडा में बसाहट के एवज में राशि 10 लाख एवं प्रोत्साहन राशि 5 लाख रूपये किया गया है तथा भूविस्थापितों के लिए अनेक जनहितकारी योजना शुरू किया गया है किन्तु अन्य क्षेत्रों में इसे लागू नहीं की जा रही है जो पूर्णत: अन्याय है।