चांपा। चांपा नगर एक बार फिर भक्ति रस में डूब गया है, जब भगवान जगन्नाथ जी नौ दिवसीय विश्राम के बाद अपने निजधाम बड़े मठ मंदिर को लौटे। जगन्नाथ रथयात्रा, जो नगर की वर्षों पुरानी परंपरा का प्रतीक है, अपनी धार्मिक गरिमा और लोक आस्था के साथ संपन्न हुई।
इस यात्रा में श्रद्धा, उत्साह और धार्मिक आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। नगर में भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा दो प्रमुख स्थानों बड़े मठ मंदिर और पढ़ीघाट मंदिर से निकाली जाती है। इस वर्ष भी यह परंपरा श्रद्धा के साथ निभाई गई। बड़े मठ मंदिर से निकली भगवान जगन्नाथ जी की यात्रा ने पूरे नगर को धर्ममय बना दिया। भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ पिछले नौ दिनों से सदर बाजार स्थित संतोष सोनी के निवास पर ठहरे हुए थे, जहां नगरवासियों ने दिन-रात सेवा, भजन और पूजन में कोई कसर नहीं छोड़ी। यह निवास भगवान का ‘गुंडिचा मंदिर’ माना जाता है, जहां वे वर्ष में एक बार नौ दिनों के लिए ठहरते हैं।
5 जुलाई की शाम को भगवान जगन्नाथ जी की वापसी यात्रा बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ आरंभ हुई। यात्रा आरंभ होने से पूर्व मठ मंदिर के पुजारी कृष्ण धर मिश्रा, पद्मेश शर्मा और संजीव मिश्रा ने विधिवत पूजा-अर्चना और आरती की गई। इसके बाद रथ को रस्सियों से खींचकर यात्रा प्रारंभ की गई, जिसमें सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मठ के महंत लाल दास कुंवर भिवेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि रथयात्रा न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह समाज को जोडऩे का पर्व है। इस अवसर पर सत्यनारायण सोनी योगेंद्र तिवारी, प्रशांत तिवारी, शैलेन्द्र तिवारी, राहुल मिश्रा, कृष्ण देवांगन, सुनील सोनी, योगेश पाठक, अमित विश्वकर्मा मौजूद रहे।
रथ यात्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ रथ यात्रा सदर बाजार से आरंभ होकर राधाकृष्णन मंदिर, मस्जिद मोहल्ला, सोनी मोहल्ला होते हुए बड़े मठ मंदिर तक पहुंची। पूरे मार्ग को फूलों, तोरण द्वारों और रंगोली से सजाया था। विभिन्न मोहल्लों में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह स्वागत पंडाल बनाए और भगवान की आरती उतारी। महिलाएं मंगल गीत गाते हुए कलश लेकर स्वागत में खड़ी थीं तो युवाओं की टोली ढोल-मंजीरे के साथ हरिबोल, जय जगन्नाथ के उद्घोष कर रही थी।