जयपुर, ११ मार्च ।
राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने कहा कि दुष्कर्म करने वालों को नपुंसक बनाकर छोड़ देना चाहिए, तभी ऐसे अपराध कम होंगे। वह सोमवार को भरतपुर जिला बार एसोसिएशन के शपथ ग्रहण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे व बच्चियों से छेड़छाड़, दुष्कर्म या कुकर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रविधान है। राज्यपाल ने कहा कि फिर भी ऐसे अपराध रुक नहीं रहे हैं। अपराधियों में कानून का डर दिखाई नहीं दे रहा है। ऐसे लोगों को जब नपुंसक बनाकर छोड़ा जाएगा और जब उनकी शादी नहीं होगी तो लोग उन्हें पहचानेंगे। राज्यपाल ने कहा कि छेड़छाड़ की घटना का वीडियो बनाने के बजाय लोग ऐसा करने वालों को पकड़ें और उनकी पिटाई करें। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने मार्च 2025 से सितंबर 2026 तक आयोजित होने वाली 44 भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर जारी किया है, जिसमें रीट मेन्स 2025, जेल प्रहरी, पटवारी, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सीएचओ, प्लाटून कमांडर समेत अन्य भर्तियां शामिल हैं। बोर्ड ने परीक्षा परिणाम की संभावित तारीख भी बताई है। कैलेंडर के अनुसार मार्च 2025 से दिसंबर तक 35 और वर्ष 2026 में नौ भर्ती परीक्षाएं होंगी।बोर्ड के सचिव भागचंद बधाल ने बताया कि लेखा सहायक संविदा भर्ती, ग्राम विकास अधिकारी, पुस्तकालय सहायक, प्लाटुन कमांडर, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों, प्रयोगशाला सहायक, परिचालक, जमादार भर्ती परीक्षाएं इस वर्ष अगस्त से दिसंबर तक आयोजित होंगी। वर्ष 2026 में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक, कृषि पर्यवेक्षक, समान पात्रता परीक्षा, कर सहायक, लिपिक, कंप्यूटर अनुदेशक व शारीरिक शिक्षक भर्ती परीक्षाएं होंगी। बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट से उम्मीदवार पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा में 80 में 40 से कम नंबर लाने वाला बच्चा तो पास होगा, लेकिन शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होगी। शिक्षा विभाग के मापदंडों में उन्हें फेल माना जाएगा। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि ऐसे शिक्षक का तबादला उनके घर से कई किलोमीटर दूर किया जाएगा। अन्य कार्रवाई भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि बोर्ड परीक्षा में एक पेपर सौ अंक का होता है। इसमें सत्रांक के 20 प्रतिशत अंक शिक्षकों के हाथ में होते हैं। बच्चों को इसमें 18-20 मिल जाते हैं। फिर बच्चे को पास होने के लिए 13-15 अंक लाना ही आवश्यक होता है। ऐसे में बच्चे को शिक्षित नहीं कह सकते। इसे शिक्षक की कमजोरी मानी जाएगी।